Vasudha Lakshmi

वसुधा लक्ष्मी साधना

 

सामान्य रूप से लक्ष्मी का तात्पर्य धन, अर्थात् रुपया, पैसा मान लिया गया है। जबकि यह अपने आप में एक अत्यन्त सीमित अर्थ है। लक्ष्मी की पूर्णता को समझने के लिये उसके स्वरूपों को समझना आवश्यक है। लक्ष्मी के अष्ट स्वरूप हैं जिसमें धन लक्ष्मी, भू-लक्ष्मी, सरस्वती लक्ष्मी, प्रीति लक्ष्मी, कीर्ति लक्ष्मी, शान्ति लक्ष्मी, तुष्टि लक्ष्मी और पुष्टि लक्ष्मी सम्मिलित हैं। जीवन को आनन्द पूर्वक चलाने के लिये इन अष्ट स्वरूपों का संयोजन आवश्यक है। लक्ष्मी के इन अष्ट स्वरूपों में एक महत्वपूर्ण स्वरूप है – भू-लक्ष्मी अर्थात् भवन लक्ष्मी अर्थात् वसुधा लक्ष्मी।

किसी भी बुधवार अथवा सिद्ध योग पर इस महत्वपूर्ण साधना को सम्पन्न किया जा सकता है। साधना दिवस पर साधक प्रातःकाल अपनी दैनिक गुरु साधना पूर्ण कर पीले रंग के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठें। अपने सामने एक थाली पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक में चार सुपारी स्थापित करें। मध्य में एक अक्षत की ढेरी बनाकर उसमें पुष्प रखें, पुष्प के ऊपर मंत्र सिद्ध प्राणप्रतिष्ठायुक्त भूमि सिद्धि भव सिद्धि प्राणश्‍चेतना मंत्रों से अनुप्राणित वसुधा लक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।

 

ध्यान –

 

वसुधा लक्ष्मी साधना प्रारम्भ करने हेतु सर्वप्रथम दोनों हाथ जोड़कर ध्यान करें –
यावच्चद्रश्‍च सूर्य्यश्‍च यावद् देवा वसुन्धरा।
तावन्मम गृहे देवि अचला सुस्थिरा भव॥1॥
यावद् ब्रह्मदयो देवामनुभुज्ज चतुर्दश।
तावन्मम गृह देवि अचला सुस्थिरा भव॥2॥
यावत् तारागणाकाशे यावद् इन्द्रादयोऽमराः।
तावन्मम गृहे देवि अचला सुस्थिरा भव॥3॥

 

विनियोग –

 

ॐ अस्य श्री पृथ्वी मंत्रस्य वाराह ॠषिः निवृच्छंदः वसुधा देवता, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः।

 

इसके पश्‍चात् अपनी घर प्राप्ति अथवा घर से सम्बन्धित मनोकामना दोनों हाथ जोड़कर सद्गुरु के समक्ष व्यक्त करें। गुरुदेव से प्रार्थना के पश्‍चात् अपने बायें हाथ में स्वास्तिक पर रखी चारों सुपारियां लेकर मुट्ठी बंद कर लें तथा अपने दाहिने हाथ से ‘वसुधा सौभाग्य नीली हकीक माला’ से निम्न मंत्र की 4 माला मंत्र जप करें –

 

मंत्र
॥ॐ नमो भगवत्यै धरण्यै धरणिधरे धरे स्वाहा॥

 

साधना के समय इस बात का ध्यान रखें कि बायें हाथ में चारों सुपारियां कसकर पकड़ी हुई रहें। मंत्र जप के पश्‍चात् माला को यंत्र के सामने रख दें। चारों सुपारियों को बायें हाथ से दाहिने हाथ में लेकर मुट्ठी बांधकर अपने सिर पर चार बार  घुमाएं और किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में ये चारों सुपारियां फेंक दें।

 

इस प्रकार यह साधना चार बुधवार सम्पन्न करनी है। हर बार नया स्वास्तिक बनाकर नई सुपारियां प्रयोग में लानी है, चार बुधवार बाद यह साधना सम्पन्न कर लक्ष्मी आरती अवश्य सम्पन्न करें और यंत्र एवं माला वरुण देवता अर्थात् जल को, जलाशय में समर्पित कर दें। यह एक अत्यन्त सिद्धिदायक श्रेष्ठ प्रयोग है, जिससे भूमि एवं भवन सम्बन्धी मनोवांछित कार्यों में शीघ्र सफलता प्राप्त होती है।

 

साधना सामग्री – 360/-

Vasudha Lakshmi Sadhana

The general meaning of word Lakshmi is considered to be money i.e. rupee-paisa. However this is a very  limited definition. We need to comprehend various forms of Lakshmi to understand the definition. The eight forms of Goddess Lakshmi are – Dhan (Wealth) Lakshmi, Bhu (Property) Lakshmi, Saraswati (Knowledge) Lakshmi, Priti (Love) Lakshmi, Kirti (Fame) Lakshmi, Shanti (Peace) Lakshmi, Tushti (Contentment) Lakshmi and Pushti (Nurture) Lakshmi. A combination of these eight forms is  necessary to lead a smooth life. One of the most important form of Goddess  Lakshmi within  these eighty forms is –  Bhu (Property) Lakshmi i.e.  Vasudha Lakshmi.


 

This significant Sadhana practice can be accomplished on any Wednesday or Siddha Yoga. The Sadhak should sit on a Yellow Asana facing East direction in the morning of the Sadhana-day after completion of daily Guru Sadhana. Draw a Swastik with Vermilion on a steel plate in front of you. Set up four supaari (betel-nuts) on the Swastik. Make a small mound of Akshat (unbroken rice) in the center. Offer flowers on top of the mound.  Setup Mantra consecrated and sanctified Vasudha Lakshmi Yantra on this seat of flowers.

 

Meditation-

To initiate the Vasudha Lakshmi Sadhana, meditate with folded hands –

Yaavachchadrashcha Sooryyashcha Yaavad  Devaa Vasundharaa |

Taavanmama Grahe Devi Achalaa Susthiraa Bhava ||

Yaavada Brahmadayo Devaamanubhujja Chaturdasha |

Taavanmama Graha Devi Achalaa Susthiraa Bhava ||

Yaavata Taaraaganaakaashe Yaavada IndraadayoSmaraaH |

Taavanmama Grahe Devi Achalaa Susthiraa Bhava ||

 

Viniyoga –

Om Asya Shree Prithvee Mantrasya Vaaraaha RishiH NivrachchhndaH Vasudhaa Devataa, Sarveshta Siddhaye Jape ViniyogaH |

 

Thereafter express your wish-desire about your home, or owning your own home to Sadguru raising both hands. After   praying to Gurudev, take the four betel-nuts kept on Swastik in your left hand, clench them in a fist and chant 4 mala of following Mantra with “Vasudha Soubhagya Blue Hakeek Mala” with your right hand –

 

Mantra

|| Om Namo Bhagwatyei Dharanyei Dharanidhare Dhare Swahaa ||

 

You should ensure to keep the four betel-nuts tightly clenched in your left hand during the entire Sadhana period. Place the Mala in front of the Yantra after completion of the Mantra chanting. Now, transfer the four betel-nuts in the fist of right hand, and rotate on your head four times. Throw these four betel-nuts at a road-crossing on the four directions.

This Sadhana should be accomplished by this method on four consecutive Wednesdays. You should make a new Swastik each time, and use four fresh betel-nuts. Perform aarti of Goddess Lakshmi after completing this Sadhana on four Wednesdays, and offer the Yantra and Mala to Varun God i.e. drop in a stream of water. This is a highly effective Siddha prayog practice and bestows  quick success in fulfilling wishes related to land and property.

Sadhana Materials – 360 / –

 

error: Jai Gurudev!