Sabar Yantra

साबर मंत्रों से सिद्ध

छत्तीसा यंत्र
चौबीसा यंत्र
कामदेव यंत्र
गंर्धव यंत्र
यंत्रों से अंकित मुद्रिकाओं को धारण करते ही अनुकूल फल की प्राप्ति संभव होने लगती है, और यदि श्रद्धापूर्वक इन अंगूठियों को धारण किये रहें और अपवित्र न होने दें, तो कुछ ही दिनों में उसका पूर्ण अनुकूल फल प्राप्त हो जाता है,

 

मंत्र’ देवताओं की आत्मा है और मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठित ‘यंत्र’ उनके शरीर को कहते है जिस तरह शरीर दिखाई पड़ता है उसी तरह यंत्रों का साक्षात् प्रयोग और धारण करने से साधना शीघ्र फलदायी होती है।

 

मंत्र और यंत्र दोनों ही तंत्र विद्या के अंग हैं और एक दूसरे से संयुक्त हैं। यंत्रों के महत्त्व के विषय में प्राचीन ग्रन्थ और आधुनिक विज्ञान दोनों सहमत हैं। श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्रों को अनेकों साधकों ने अपने घरों में स्थापित किया है और उसके लाभवश अपना जीवन परिवर्तित किया है।

 

मंत्र की उत्त्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि इनकी उत्त्पत्ति भगवान शिव के तांडव नृत्य से हुई थी। फिर आगे चलकर इसी विज्ञान को आधार बनाकर हमारे प्राचीन तांत्रिकों और योगियों ने यंत्रों की आकृतियों की रचना की। यंत्र भी मंत्र की ही तरह स्वतः सिद्ध और अविनाशी हैं।

 

अनुभव में यह आया है, कि इस प्रकार के यंत्रों से अंकित मुद्रिकाओं को धारण करते ही अनुकूल फल की प्राप्ति संभव होने लगती है, और यदि श्रद्धापूर्वक इन अंगूठियों को धारण किये रहें और इनको अपवित्र न होने दें, तो कुछ ही दिनों में उनका पूर्ण अनुकूल फल प्राप्त हो जाता है, इस प्रयोग को मैंने अपने जीवन में हजारों बार आजमाया है, और हर बार पूर्ण सफलता  ही अनुभव हुई है।

 

शत्रुओं पर हावी होने के लिए –  छत्तीसा यंत्र

 

शत्रु संहार में छत्तीस अंक की विशेष भूमिका है। मां बगलामुखी के छत्तीस अक्षरी मंत्र की महिमा से प्रत्येक साधक परिचित है, पर मंत्र और उसकी साधना कई बार भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में छूट जाती है।

 

ऐसे साधकों के लिए छत्तीसा यंत्र अति उपयुक्त है। नाथ सम्प्रदाय में छत्तीसा यंत्र के विषय में कहा गया है-

 

छत्तीसा छत्तीसा।
क्या करे जगदीशा॥
नाथ सम्प्रदाय में यह कहावत प्रचलित है, कि जिसने अपनी अंगुली में छत्तीसा यंत्र अंगूठी पर अंकित करवा कर धारण कर लिया है, उसका साक्षात् जगदीश भी अर्थात् ईश्‍वर भी क्या बिगाड़ सकता है?

 

छत्तीसा यंत्र की यह विशेषता होती है, कि इसको किसी भी पंक्ति से गिना जाए, तो उसका कुल जोड़ छत्तीस ही आता है, इसलिए इसका अत्यंत महत्व माना गया है। इस अंगूठी को मध्यमा अंगुली में धारण किया जाना चाहिए, और यदि चौबीस घण्टे यह अंगूठी धारण किये रहें, तो पहनने वाला व्यक्ति कुछ ही दिनों में शत्रुओं पर पूर्ण विजय प्राप्त कर पाता है, इस अंगूठी के द्वारा वह शत्रुओं पर तो विजय प्राप्त करता ही है, और तो और शत्रु उसके सामने नत मस्तक रहते हैं, इसको पहन कर मुकदमे में या कोर्ट में जावें तो पूर्ण वातावरण उसके अनुकूल ही रहता है, यदि उसकी अंगुली में पहनी हुई अंगूठी पर न्यायधीश की दृष्टि पड़े तो उनके विचार भी अनुकूल होने लगते हैं, वास्तव में ही जिनको राज्यभय हो, इन्कम टैक्स, सेल्स टैक्स या अन्य किसी प्रकार की बाधाएं, अड़चनें, कठिनाइयां, शत्रु-भय आदि अनुभव होता हो, तो यह अंगूठी अपने आप में लाजवाब है।

 

अंगूठी पर सुन्दर ढंग से छत्तीसा यंत्र अंकित किया हुआ अपने आप में सुन्दर तो दिखाई देता ही है, सामने वाले पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी डालने में समर्थ होता है, इस अंगूठी को पहनने से जीवन सभी दृष्टियों से निष्कंटक, निर्भय और तनाव रहित हो जाता है।

 

इसके अलावा यह अंगूठी या दूसरे शब्दों में छत्तीसा यंत्र मुद्रिका व्यापार वृद्धि और भाग्योदय में विशेष रूप से अनुकूल होती है, वास्तव में ही यह मुद्रिका सही शब्दों में कहा जाए तो जीवन का सौभाग्य मानी गयी है।

 

प्राण प्रतिष्ठा न्यौ. – 240/-

 

आकस्मिक लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए  – चौबीसा यंत्र

 

यंत्र पहिर चौबीसा।
धन, सुख, भाग अनीसा॥
अर्थात् जो अपनी अंगुली में चौबीसा यंत्र की अंगूठी बनवा कर धारण कर लेता है, वह आकस्मिक रूप से लक्ष्मी प्राप्त करने लगता है, जिस प्रकार का भी भोग वह अपने जीवन में चाहता है, वह भोग सुख, ऐश्‍वर्य उसे अनायास ही प्राप्त होने लगता हैं।

 

इस अंगूठी की विशेषता है कि इसको धारण करने से आर्थिक दृष्टि से निरंतर उन्नति होती रहती है, चारों तरफ का वातावरण कुछ ऐसा बन जाता है कि उसके आर्थिक स्रोत चारों तरफ से खुल जाते हैं, अच्छे व्यक्तियों से परिचय और सम्पर्क बनता है, और उनके माध्यम से ही जीवन में भोग एवं ऐश्‍वर्य की प्राप्ति होने लगती है।

 

गुरु गोरखनाथ के अनुसार चौबीसा और बीसा यंत्र का एक सा ही प्रभाव है और दोनों ही कलियुग में तो अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, इसे बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में पहना जाना चाहिए।

 

मैंने इस अंगूठी का प्रभाव अनुभव किया है, यदि कहीं पर रुपया फंसा हुआ हो या निकल न रहा हो, तो इसके पहनने से कार्य सम्पन्न होने लगता है, इस अंगूठी की यह विशेषता है, कि यदि व्यक्ति पर कर्जा हो तो यह मुद्रिका शीघ्र ही ॠण मिटा देती है, व्यापार नहीं चल रहा हो, तो इसके पहनने से व्यापार बढ़ने लगता है, नया व्यापार शुरू होने लगता है, रुके हुए व्यापार में तेजी आने लगती है, व्यापार में बिक्री बढ़ जाती है, और एक प्रकार से देखा जाए, तो घर में धन की वर्षा सी होने लगती है, वास्तव में यह अंगूठी कलियुग में कल्पवृक्ष के समान फलदायक है।

 

प्राण प्रतिष्ठा न्यौ. – 240/-

 

भोग, विलास, सम्मोहन वशीकरण के लिए – कामदेव यंत्र

 

यंत्र काम हरण।
पत्थर को वश करण।
नाथों और प्राचीन ग्रंथों में तो यह कहावत है, कामदेव यंत्र को पहन लिया जाये, तो वह व्यक्ति पत्थर को भी अपने वश में कर सकता है, फिर पुरुष या स्त्री की तो बिसात ही क्या है। इस यंत्र में कुछ ऐसी विशेषता है कि यह किसी को भी सम्मोहित करने में समर्थ है, सामने वाले को अपने आकर्षण में बांधने के लिए यह यंत्र मुद्रिका अपने आप में लाजवाब है, इस प्रकार की मुद्रिका को सबसे छोटी अंगुली में धारण करना चाहिए।

 

ऐसी अंगूठी जिस पर कामदेव यंत्र अंकित हो, यदि पहन ली जाए, तो कुछ ही दिनों में पुरुष या स्त्री के शरीर में विशेष प्रकार का आकर्षण पैदा होने लगता है, उसका व्यक्तित्व चुम्बकीय हो जाता है, और यदि अंगुठी पहन कर अपने अधिकारी से मिलते समय उसकी नजर अंगूठी पर पड़े, तो निश्‍चय ही वह अधिकारी पहनने वाले के अनुकूल होता ही है, और उसके कहे अनुसार कार्य करने लग जाता है।

 

इसी प्रकार यदि प्रेमी अपनी प्रेमिका से बात-चीत करते समय उसका ध्यान आकृष्ट कर ले तो वह पूर्ण सम्मोहन में बंध जाती है, और उसके कहे अनुसार कार्य करने लगती है, इसी प्रकार प्रेमिका भी अपने प्रेमी को इस मुद्रिका के माध्यम से आकर्षण में बांध सकती है, पति अपनी पत्नी को या पत्नी अपने पति को इसी प्रकार कामदेव यंत्र अंकित मुद्रिका के माध्यम से अनुकूल बना सकते हैं।

 

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस अंगूठी के माध्यम से किसी भी व्यक्ति, पुरुष या स्त्री को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है, अपने सम्मोहन में बांधा जा सकता है और जीवन भर उससे मनोनुकूल कार्य सम्पन्न करवाए जा सकते हैं। व्यापारी इसके माध्यम से महत्वपूर्ण ग्राहक बांधे रख सकता है, अपने पार्टनर को अनुकूल बनाये रख सकता है, जीवन के किसी भी क्षेत्र में यह अंगूठी अपने आपमें महत्वपूर्ण है।

 

इस अंगूठी के माध्यम से सम्मोहन, आकर्षण तथा वशीकरण तो सम्पन्न होता ही है, पहनने वाले के जीवन में भोग-विलास की भी वृद्धि होने लगती है, विशेष प्रकार से पुरुषत्व का प्रभाव अनुभव करने लगता है, वास्तव में ही स्त्रियों के लिए भी यह मुद्रिका सही अर्थों में जीवन का सौभाग्य कही जा सकती है।

 

प्राण प्रतिष्ठा न्यौ. – 210/-

 

अनुकूल विवाह एवं प्रेम के लिए –  गन्धर्व यंत्र

 

मैंने अपने जीवन में जितनी बार भी इस अंगूठी के प्रभाव को परखना चाहा, मुझे पूर्ण अनुकूलता ही अनुभव हुई, गन्धर्व मुद्रिका तो देवताओं तक ने धारण की हैं।

 

गन्धर्व सारा संसारा।
अब सब कोई हमारा॥
गुरु गोरखनाथ की इन पक्तियों का तात्पर्य यह है कि गन्धर्व यंत्र की यह विशेषता है, इसको धारण करने पर सारा संसार उसके अनुकूल हो जाता है, वह अपने जीवन में जिसको चाहता है, जिस प्रकार चाहता है, वह कार्य होने लगता है।

 

यदि, लड़की बड़ी हो गई हो और उसका विवाह नहीं हो रहा हो, अथवा लड़के का विवाह नहीं हो रहा हो तो गन्धर्व यंत्र मुद्रिका अपने आप में महत्वपूर्ण उपाय है, पहनने वाला किसी निश्‍चित पुरुष या स्त्री से ही शादी करना चाहता है और सामने वाले व्यक्ति का आकर्षण स्वतः बढ़ जाता है, और अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है, यही नहीं, अपितु शीघ्र मन की इच्छा के अनुरूप विवाह कार्य सम्पन्न होने की दृष्टि से यह मुद्रिका धारण की जाए तो अचूक फलदायी है या दूसरे शब्दों में कहा जाये तो गन्धर्व यंत्र अंकित मुद्रिका अपने आप में महत्वपूर्ण है।

 

विवाह के बाद पति-पत्नी में प्रेम बना रहे, पति अनुकूल बना रहे, इस दृष्टि से भी यह यंत्र महत्वपूर्ण है। यदि प्रेमिका चाहे या, यदि कोई प्रेमी-प्रेमिका को जीवन भर अपने अनुकूल बनाये रखना चाहे, तो यह यंत्र सर्वाधिक सहयोगी है।

 

वास्वत में ही यह यंत्र (मुद्रिका) जीवन का सौन्दर्य है, इसे किसी भी हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए।

 

वास्तव में ही वे मनुष्य दुर्भाग्यशाली कहे जा सकते हैं, जिनके सामने ऐसे यंत्र या सुविधा उपलब्ध हो, और वे अपने जीवन में उनका लाभ न उठा सकें या अपनी इच्छा के अनुरूप कार्य सम्पन्न न कर सकें, तो दुर्भाग्य के अलावा और क्या कहा जा सकता है? यह अंगूठी वैवाहिक जीवन को पूर्ण रूप से मधुर बनाए रखने में विशेष रूप से सहायक है।

 

प्राण प्रतिष्ठा गन्धर्व यंत्र अंकित मुद्रिका न्यौ. – 210/-

 

Consecrated with Sabar Mantras

Chattisaa Yantra

Choubisa Yantra

Kamdev Yantra

Gandharva Yantra

 

One starts obtaining favorable results instantly after wearing the Yantra inscribed rings. Complete favorable results start appearing if the rings are continuously worn with full devotion and kept fully pure.

 

Mantra” is the basic soul of the Gods. The consecrated-sanctified “Yantra” signify Their physical form. Our eyes can instantly see the physical body. Similarly, the Sadhanas bestow quick favorable results after properly using and wearing the Yantras.

 

Both Mantra and Tantra are essential components of Tantra science and they complement each other. Both ancient texts and modern science agree about the importance and significance of the Yantras. Many Sadhaks have setup Yantras like Shree Yantra, Kanakdhara Yantra etc. in their homes, and this has led to a beneficial transformation of their lives.

It is said that the Mantras originated from the Tandav dance of Lord Shiva. Our ancient sages, Yogis and Tantriks further expanded this basic science to  compose geometrical forms of Yantras. The Yantras are self-deified and immortal like the Mantras.

It has been experienced that favorable results start appearing the instant one wears such Yantra inscribed rings. Complete favorable results start appearing if the rings are continuously worn with full devotion and kept fully pure. I have repeated this experiment thousands of times in my life, and have always achieved full success.

 

To dominate the enemies – Chattisaa Yantra

Number 36 has a special significance in destruction of the enemy. Every Sadhak is familiar with the importance of the 36 lettered Mantra of Mother Baglamukhi. However, sometimes one is unable to pursue Mantra Sadhana due to paucity of time in this fast life.

Chattisaa Yantra is highly suitable for such Sadhaks. Nath society praises Chattisaa Yantra as –

Chattisaa Chattisaa |

Kya Karen Jagdeeshaa ||

 

i.e even Almighty is powerless against the Chattisaa Yantra.

 

A famous saying of the Nath society is that even God Almighty cannot do anything against one who wears Chattisaa inscribed Yantra on his finger.

A key feature of the Chattisaa Yantra is that the total of numbers add to 36 in each row and column. This is a highly significant feature. This ring should be worn on the middle finger. One can completely dominate all his enemies by wearing this ring all 24 hours of the day. He can vanquish all his foes and they are forced to salute and respect him. The entire court atmosphere is fully conducive if one wears this ring while going to a court to fight a suit. The judge becomes fully favorable if his eyes catch sight of this ring. This ring is especially beneficial for those facing Government issues like Income Tax-Sales Tax problems, obstacles, hindrances, difficulties or any other kind of fear from their enemies. The ring is astonishingly amazing in itself.

The beautifully inscribed Chattisaa Yantra on the ring look highly attractive. It is fully capable to cast psychological influence on the other party. One leads a completely stress-free, fearless and valiant life upon wearing this ring.

Moreover, this Chattisaa Yantra ring is also extremely beneficial in growth of business and favorable fate. This ring has been rightly considered as the boon of life.

 

Praana Pratishthaa Nyouchaawar – 240 /-

 


 

To obtain Sudden Wealth – Choubisa Yantra

 

Yantra Pahira Choubisa |

Dhan, Sukh, Bhag Aneesaa ||

 

i.e one who starts wearing Choubisa Yantra inscribed ring on his finger, starts attaining wealth suddenly. He automatically starts achieving pleasures, wealth and prosperity  as per his wishes.

The major significance of this ring is that the wealth of the wearer continues to grow. The entire environment  becomes conducive to generation of wealth. New sources of money open up, one starts building up contacts with the right set of people, and starts attaining pleasures and prosperity in life.

Guru Gorakhnath has stated that both Choubisa Yantra and Beesa Yantra bestow similar benefits. Both are equally important in this Kaliyuga. It should be worn on the middle finger of the left hand.

I have experienced favorable benefits of this ring. Wearing of this ring creates favorable situations, so that one receives back the money struck up elsewhere. This ring immediately eradicates the debts. The business starts to grow exponentially, one starts new ventures, and the sales-profit grow manifold. This ring initiates a shower of wealth in the family. This ring is as beneficial as the Kalp-Vriksha in this Kali Yuga.

 

Praana Pratishthaa Nyouchaawar – 240 /-

 


 

For Pleasures, Luxury, Attraction-Hypnotism – Kamdev Ring

 

Yantra Kaam Haran |

Patthar Ko Vasha Karan ||

 

There is on old saying in the Nath and other ancient texts -The wearer of the Kamdev Yantra can even hypnotize-control the stone. What can a mere mortal man or woman do? This Yantra has a special power to hypnotize anyone. This Yantra ring is highly effective in captivating the attraction of the other party. This ring should be worn in the little finger.

If a person wears such a Kamdev Yantra inscribed ring, then his body becomes highly attractive within few days and his personality becomes magnetic. If his supervisor-manager chances to see this ring, then the supervisor-manager becomes highly favorable and  accedes to all requests.

Similarly, if a person diverts attention of his girlfriend to this ring, then she gets completely hypnotized and starts obeying everything. Similarly a  woman can also lure her boyfriend through this ring into a web of attraction. Both spouses can make the other spouse completely conducive through this ring.

In other words, one can easily attract and lure any person – man or woman, through this ring. They can be controlled through hypnotism, and be tasked to perform desired tasks throughout their life. A trader can attract and tie his important customers or retain conduciveness of his partner.

Apart from accomplishing attraction, captivation and hypnotism through this ring, this ring also bestows pleasures and luxuries to the wearer. It also enchances virility. This ring can be considered as an extremely fortunate boon for the women.

 

Praana Pratishthaa Nyouchaawar – 210 /-

 


 

For Suitable Marriage and Love – Gandharva Ring

 

I have always experienced positive success, whenever I have tried to test the efficacy of this ring. Even Gods adorn the Gandharva Ring.

 

Gandharva Saaraa Sansaaraa |

Aba Saba Koee Hamaaraa ||

The significance of the above lines of Guru Gorakhnath is that – The entire world becomes favorable to the person wearing the Gandharva ring. Whatever he wants, in whatever way he wants, starts occurring.

If a grownup girl is not getting married, or if you are unable to secure the best match for the boy, then the Gandharva ring is an appropriate solution. The wearer definitely starts getting desires to marry a specific person, and the attraction enhances, creating positive conducive circumstances. This ring is also fully beneficial for wishes of quick marriage to a specific person. This Gandharva Yantra inscribed ring is highly important.

This Yantra is also highly significant to ensure that the love between husband-wife continues to grow after the marriage. This Yantra is highly beneficial if one wants to ensure positive conduciveness of the lover for the entire life.

This Yantra (ring) is the beauty of life itself. It should be worn in the ring-finger of any hand.

In fact, those people can be said to be unfortunate, who cannot derive desirable benefits from such divine Yantras, even when they are easily available. This is what misfortune really is. This ring bestows marital sweetness to the couple throughout their life.

 

Praana Pratishthaa Nyouchaawar – 210 /-

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