RajaRajeshwari Shodashi Tripura Sundari Sadhana

गुरु पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण के अद्वितीय मुहूर्त में सम्पन्न करें 

राज राजेश्‍वरी षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना

आध्यात्मिकता और भौतिकता प्रदायक

 

वास्तव में ही वे नर धन्य हैं, जो अपने जीवन में त्रिपुर सुन्दरी साधना की पूर्ण विधि ज्ञात कर, इस साधना में भाग लेते हैं, और सफलता प्राप्त करते हैं। – महर्षि वशिष्ठ

 


 

षोडश कलाओं से पूर्ण भगवती षोडशी अपने दिव्य स्वरूप में जब साधक के समक्ष प्रकट होती हैं, तब वह आनन्द से अभिभूत हो जाता है। षोडशी की तेजस्विता साधक के शरीर के अणु-अणु में, रोम-रोम में प्रवेश कर जाती है, जिससे उसका चेहरा अपने आप में दैदीप्यमान हो उठता है। फिर उसके जीवन में लड़ाई, झगड़े, द्वंद्व, पीड़ा, अभाव, न्यूनता और कष्ट नहीं रह पाते। इसलिए षोडशी त्रिपुर सुन्दरी दस महाविद्याओं में सर्वश्रेष्ठ महाविद्या मानी गई हैं।

 

यह गोपनीय साधना विधान साधकों के लिए वरदान तुल्य है, कल्पवृक्ष के समान है, जिसको सम्पन्न करने से समस्त प्रकार के भौतिक, दैविक, दैहिक और आध्यात्मिक फलों की प्राप्ति होती है।

 

साधना विधान

 

महाविद्या साधनाएं विशेष साधनात्मक काल में सम्पन्न करने से सिद्धि सहजता से ही प्राप्त हो जाती है। साधनात्मक काल (चन्द्र ग्रहण – 27 जुलाई 2018) में सर्वप्रथम साधक पूर्ण शुद्धता के साथ स्नान कर सफेद धोती धारण करें, फिर गुरु पीताम्बर ओढ़ लें और सफेद आसन बिछाकर उस पर उत्तर की ओर मुंह कर बैठें, सामने गुरु चित्र का स्थापन करें।

 

इसके बाद तेल का दीपक और घी का दीपक जलाकर चित्र का संक्षिप्त पूजन करें, अर्थात् चित्र को कुंकुम अर्पित करें, चावल चढ़ावें, पुष्प समर्पित करें और दूध का बना हुआ प्रसाद अर्पित करें, इसके बाद निम्न मंत्रों से हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें –

 

आचमन

 

ॐ ह्रीं आत्म तत्वाय स्वाहा
ॐ ह्रीं विद्या तत्वाय स्वाहा
ॐ ह्री शिव तत्वाय स्वाहा
गुरु ध्यान

 

इसके बाद गुरुदेव को अपने सिर के भीतर स्थित सहस्रदल कमल के बीच में स्थापित जानकर, ध्यान करें और निम्न स्तोत्र का उच्चारण करें –

 

ब्रह्मानन्दं परम-सुखदं केवलं ज्ञान-मूर्तिम्
द्वन्द्वातीतं गगन सृदशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्व धी साक्षि भूतम्
भावातीतं त्रिगुण रहितं सद्गुरुं तं नमामि॥
इसके बाद सामने ‘त्रिपुर सुन्दरी यंत्र’ को जल से स्नान कराकर अपने सामने स्थापित करें। यंत्र पर कुंकुम, अक्षत, अर्पित करें। यंत्र के सामने ही ‘त्रिपुर सुन्दरी माला’ को भी स्थापित करें एवं उस पर कुंकुम अर्पित करें।

 

ध्यान

 

दोनों हाथ जोड़कर भक्ति भाव से भगवती त्रिपुर सुन्दरी के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें।

 

बालार्कद्युतितेजसं त्रिनयनां रक्ताम्बरोल्लासिनीं
नानालंकृतिराजमानवपुुषं बालोडुराट्शेखराम्।
हस्तैरिक्षुधनुः सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभ्रतीं
श्री चक्रस्थित सुन्दरीं त्रिजतामाधारभूतां स्मरेत्॥
उदित होते सूर्य के समान तेज युक्त, तीन नेत्रों वाली, लाल वस्त्रों से सुशोभित, विविध अलंकारों से अलंकृत, द्वितीया के चन्द्रमा को शिर पर धारण किये हुए, हाथों में धनुष-बाण, खड्ग एवं पाश धारण किये हुए, श्री चक्र में विराजमान, तीनों लोकों की आधारभूता देवी भगवती त्रिपुर सुन्दरी का मैं ध्यान करता हूं।

 

पीठ पूजा

 

ध्यान के पश्‍चात् यंत्र पर अक्षत चढ़ाते हुए नव शक्तियों का क्रम से पूजन करें –

 

ॐ विभूत्यै नमः।  ॐ उन्मन्यै नमः।
ॐ कान्त्यै नमः।  ॐ सृष्टयै नमः।
ॐ कीर्त्यै नमः।  ॐ सन्मत्यै नमः।
ॐ पुष्टयै नमः।  ॐ उत्कृष्टयै नमः।
ॐ ॠष्टयै नमः।
अष्ट देवी पूजा
अपने बांयें हाथ में आठ पुष्प लेकर मंत्रोच्चार करते हुए, यंत्र पर अर्पित करते हुए अष्ट देवियों की पूजा करें –

 

ॐ बलाक्यै नमः। बालाकी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ विमलायै नमः। विमला श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ कमलायै नमः। कमला श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ वनमालिकायै नमः। वनमालिका श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ विभीषिकायै नमः। विभीषिका श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ मालिकायै नमः। मालिका श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ शांकर्यै नमः। शांकरी श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
ॐ वसुमालिकायै नमः। वसुमालिका श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
अष्टदेवी पूजा के पश्‍चात् ‘त्रिपुर सुन्दरी माला’ से मूल मंत्र की 11 माला मंत्र जप सम्पन्न करें –

 

मंत्र
॥ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्री स क ल ह्रीं॥
मंत्र जप के पश्‍चात् विनम्र भाव से भगवती को प्रणाम कर अपनी मनोकामना को अतिशीघ्र पूर्ण करने की प्रार्थना करें तथा निम्न स्तोत्र का पाठ करें –

 

ब्रह्माणी पातु मां पूर्वे दक्षिणे वैष्णवी तथा।
पश्‍चिमे पातु वाराही उत्तरे तु महेश्‍वरी॥
आग्नेयां पातु कौमारी महालक्ष्मीस्तु नैर्ॠते।
वायव्यां पातु चामुंडा इन्द्राणी पातु ईशके॥
जले पातु महामाया पृथिव्यां सर्वमंगला।
आकाशे पातु वरदा सर्वत्र भुवनेश्‍वरी॥
स्तोत्र पाठ के बाद दोनों हाथों में पुष्पांजलि के लिए पुष्प लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें –

 

अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले।
भक्त्या सवर्पये तुभ्यं पुष्पाञ्जलिं तवार्चनम्॥
यंत्र पर पुष्प चढ़ावें तथा नैवेद्य अर्पित करें। पुनः गुरुदेव को प्रणाम करें तथा देवी को चढ़ाया गया नैवेद्य पूरे परिवार में वितरित करें।

 

इस प्रकार पूजन सम्पन्न करने वाले साधक की दरिद्रता समाप्त होती है तथा विपुल धन-ऐश्‍वर्य की प्राप्ति होती है। अगले दिन ‘त्रिपुर सुन्दरी यंत्र’ को जल में विसर्जित कर दें।

 

इस प्रयोग में उपयोग होने वाली त्रिपुर सुन्दरी माला के प्रत्येक मनके को अलग-अलग मंत्रों से सिद्ध किया गया है और प्राण-प्रतिष्ठा की गई है, इस दृष्टि से यह माला साधकों के लिए अत्यंत उच्चकोटि की बन गई है। माला को पूजा स्थान में ही रहने दें तथा नित्य धूप दीप दिखाएं तथा सवा माह पश्‍चात् माला को भी जल में विसर्जित कर दें।

 

‘जीवन की दुर्लभ एवं अद्वितीय राज राजेश्‍वरी त्रिपुर साधना  मानव जाति के लिए वरदान स्वरूप है।’
Perform during the  unique combination of Guru Poornima and Lunar Eclipse

Raaj Raajeshwari Shodashi Tripur Sundari Sadhana

Spiritual & Material Development

Blessed are the men, who perform Tripur Sundari Sadhana in their life, and achieve success – Sage Vashisht


When the Poorna Bhagwati Shodashi, accomplished with sixteen arts,  appears in front of the Sadhak in Her divine form, he gets overwhelmed with joy. The intensity of the Shodashi enters into each and every atom and pore of the Sadhak, enhancing the aura of his face. This leads to complete elimination of fights, quarrels, conflicts, pain, suffering, paucities and scantiness from his life. Thus Shodashi Tripur Sundari has been considered as the best Mahavidhya among the ten Mahavidhyas.

This mysterious Sadhana practice is a boon to the Sadhaks, similar to the Kalpvriksha, granting all kinds of material, spiritual, physical and divine rewards to the Sadhak.

 

Sadhana Procedure

Mahavidhya Sadhanas get easily accomplished if performed during special spiritual moments. On the special spiritual period (Lunar Eclipse – 27 July 2018), the Sadhak should wear white dhotiafter a refreshing bath.  Then he should adorn Guru Pitamber, and sit facing North direction on a White Asana. He should setup a Guru picture in front of him.

Thereafter he should perform a brief Guru Poojan lighting an oil and ghee lamp, i.e he should offer Kumkum, Akshat-rice, flowers and milk-sweets to the Guru picture.  Then he should perform Aachman three times taking water in his palm, with following Mantras-

 

Aachman

 

Om Hreem Aatma Tatvaaya Swahaa

Om Hreem Vidhyaa Tatvaaya Swahaa

Om Hreem Shiva Tatvaaya Swahaa

 

Guru Meditation

Meditate on the divine form of Gurudev, considering it located within the Thousand-Petalled lotus situated within your head, and chant following Stotra-

 

Brahmaanandam Parama-Sukhadam Kevalam Gyaan-Moortim

Dwandwaateetam Gagana Sridasham Tatvamasyaadilakshyam |

Ekam Nityam Vimalamachalam Sarva Dhee Saakshi Bhootam

Bhaavaateetam Triguna Rahitam Sadaguroom Tam Namaami ||

Thereafter bathe “Tripur Sundari Yantra” with water and set it up in front of you. Offer Kumkum and Akshat on the Yantra. Setup “Tripur Sundari Mala” also in front of the Yantra and offer Kumkum on it.

 

Meditation

With  both hands folded, meditate on the divine form of Bhagwati Tripur Sundari with devotion.

 

Baalaarkaddhyutitejasam Trinayanaam Raktaambarollaasineem

Naanaalamkrtiraajamaanavapuksham Baaloduraatshekharaam |

HasteirikshudhanuH Sranim Sumasharam Paasham Mudaa Vibhrateem

Shree Chakrasthita Sundareem Trijataamaadhaarabhutaam Smaret ||

I meditate on the divine form as Intense as the rising Sun, Three Eyed,  Adorned in red garments, Decorated  with multiple ornaments,  Securing the Second-Day Moon on the Head, Holding the Bow-Arrow, Sword and Noose in Hands, Seated on Shree Chakra, Foundation of the Three Worlds , Mother Goddess Bhagwati Tripur Sundari.

 

Peetha Worship

After meditation, worship the Nine divine powers in serial order, offering Akshat on the Yantra-

 

Om Vibhutyei NamaH ||          Om Unmanyei NamaH ||

Om Kaantyei NamaH ||            Om Srashtayei NamaH ||

Om Keetryei NamaH ||            Om Sanmatyei NamaH ||

Om Pushtayei NamaH ||        Om Utkrashtayei NamaH ||

Om Krishtayei NamaH ||

Eight Goddess Worship

Taking eight flowers in your left hand, worship Eight Devis, offering on Yantra while chanting Mantras –

 

Om Balaakyei NamaH | Baalaakee Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Vimalaayei NamaH | Vimalaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Kamalaayei NamaH | Kamalaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Vanamaalikaayei NamaH |Vanamaalikaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Vibheeshikaayei NamaH |Vibheeshikaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Maalikaayei NamaH |Maalikaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Shaankaryei NamaH |Shaankaree Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

Om Vasumaalikaayei NamaH |Vasumaalikaa Shree Paadukaam Poojayaami Tarpayaami NamaH |

After Ashta-Devi worship, chant 11 mala (rosary-rounds) of main Mantra using “Tripur Sundari Mala” –

 

Mantra

 

|| Hreem Ka Aye Ei La Hreem Ha Sa Ka Ha La Hree Sa Ka La Hreem ||

 

After completion of Mantra chanting, pray devotedly to Mother Goddess to fulfill your wish quickly and chant following Stotra –

 

Brahmaani Paatu Maam Poorve Dakshine Veishnavee Tathaa |

Paschime Paatu Vaaraahee Uttare Tu Maheshvaree ||

Aagreyaam Paatu Koumaaree Mahaaalakshmeestu Neikrate |

Vaayavyaam Paatu Chaamundaa Indraanee Paatu Ishake ||

Jale Paatu Mahaamaayaa Prathivyaam Sarvamangalaa |

Aakaashe Paatu Varadaa Sarvatra Bhuvaneshvaree ||

After the Strotra recitation, chant following mantra,  taking flowers for Pushpaanjali in both hands –

 

Abheeshta Siddhim Me Dehi Sharanaagata Vatsale |

Bhaktyaa Savarpaye Tubhyam Pushpaanjalim Tvaarchanam |

 

Offer flowers and Akshat on the Yantra. Bow down to Gurudev again, and  distribute the offerings made to Goddess to the whole family.

Performing this worship destroys the poverty of the Sadhak and he gets blessed with abundance of wealth and prosperity. Drop “Tripur Sundari Yantra” in running water stream-river next day.

Each beads of the Tripur Sundari Mala used in this Sadhana has been consecrated with different mantra and has been activated-sanctified. Thus this Mala has become very valuable and important for the Sadhak. Keep the Mala in the worship-place, and offer dhoop-deep daily. Drop the Mala also into a running water-stream after 1.25 months.

“The Rare-Unique Raaj Raajeshwari Tripur Sadhana is a  boon for mankind.”

Praana Pratishthit Sadhana Materials – 495 / –

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