Lakshya Siddhi Kleem Sadhana

॥ क्लीं कृष्णाय नमः ॥
सर्वाधिक तेजस्वी बीज मंत्र
‘‘क्लीं’’
संशय-संदेह समाप्त… लक्ष्य प्राप्त
लक्ष्य सिद्धि क्लीं साधना
लक्ष्य भेदन – सम्मोहन साधना ही जीवन की वास्तविक साधना है, अपनी प्रबल इच्छा को सर्वप्रथम स्पष्ट करें। तत्पश्‍चात् लक्ष्य निर्धारण के लिये क्रियाशील हों।

 


भगवान श्रीकृष्ण उच्चरित गीता का मुख्य उद्देश्य मनुष्य जाति के मन में उपजे संशय और संदेह को समाप्त कर उसे लक्ष्य प्राप्ति, सफलता प्राप्ति के मार्ग पर प्रशस्त करना है।

 

हजारों-लाखों व्याख्याकारों ने श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या अपने-अपने हिसाब से की है। परन्तु मुख्य रूप से यदि देखा जाए तो सार यही है कि – संदेह और संशय का नाश कर लक्ष्य प्राप्ति।

 

जब भी आपके जीवन में कोई संदेह रहता है तो आप सफलता प्राप्त कर ही नहीं सकते क्योंकि संदेह आपकी शक्ति को आधा कर देता है, आपकी बुद्धि, विवेक को मंद कर देता है; सद्गुरुदेव निखिल का अमृत वचन है – यदि तुम्हें मुझे पूर्ण रूप से पाना है तो सन्देह से मुक्त होकर मेरे पास आओ तभी तुम मुझे समझ सकोगे, अपने जीवन को समझ सकोगे।

 

लक्ष्य प्राप्ति के साधन

 

हर व्यक्ति के जीवन में प्रत्येक दिन नवीन होता है। हर दिन नई घटनाएं होती हैं, नई क्रियाएं होती हैं। इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के समापन अर्थात् मृत्यु की स्थिति, मृत्यु का स्थान और मृत्यु का दिवस ज्ञात नहीं होता है। उपरोक्त तीन स्थितियों के बारे में यदि विधाता ने हमें जानकारी नहीं दी है तो उसमें विधाता की इच्छा, रहस्य छिपा हुआ है। उसके बारे में ही बार-बार विचार कर चिंता करना व्यर्थ है। अपने जीवन में इन तीन स्थितियों को भूल जाइये।

 

अब विचार करते हैं कि मनुष्य के हाथ में क्या है? मुनष्य के हाथ में कर्म है, जीवन जीने का तरीका है, व्यक्तित्व को श्रेष्ठ बनाने की क्रिया है, दुःख को सुख में बदलने की क्रिया है, इच्छाओं को पूरा करने के साधन और प्रयास हैं। इसके अलावा भी हजारों ऐसी चीजें हैं, स्थितियां हैं जो मनुष्य के स्वयं हाथ में हैं जिनके बारे में वह स्वयं निर्णय लेकर अपने जीवन को बदल सकता है।

 

इसका सीधा तात्पर्य यह हुआ कि जीवन में 98 प्रतिशत स्थितियां हमारे स्वयं के हाथ में हैं। जन्म, मरण और भाग्य को छोड़ दीजिए उनके बारे में कभी भी विचार ही मत कीजिए। जो आपके हाथ में है उसे कैसे श्रेष्ठ बनाया जा सकता है, उस पर विचार करना ज्यादा श्रेयस्कर है।

 

लक्ष्य प्राप्ति के सूत्र 

 

लक्ष्य की प्राप्ति के लिये तीन बातें महत्वपूर्ण है –

 

1. लक्ष्य का निर्धारण 2. उसकी पूर्णता के लिये कर्म 
3. उचित अवसर 

 

स्वयं की उन्नति, परिवार की उन्नति, समाज की उन्नति, देश की उन्नति शुभ उद्देश्य से ही प्राप्त होती है। बिना शुभ उद्देश्य के ज्ञान भी पाप बन जाता है इसलिए शुभ उद्देश्य के साथ अपना लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए और फिर उसकी पूर्णता में जुट जाना चाहिए। 

 

लक्ष्य निर्धारण के पश्‍चात् आता है कर्म। जो भी कर्म करो वह पूरे विश्‍वास और आस्था के साथ सम्पन्न करो। यदि हमारा अपने आप पर विश्‍वास ही नहीं है हमें अपनी क्षमताओं पर ही अविश्‍वास है, तो कार्य किस प्रकार से सफल होगा?

 

वैसे भी कर्म करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। ऐसा सम्भव नहीं है कि मनुष्य के पास कर्म करने या न करने का विकल्प हो। हमारे पास केवल एक ही विकल्प है कि हम कर्म करें और जब हम कर्म करने की इच्छा करते हैं तो शक्ति अपने आप प्राप्त हो जाती है।

 

वास्तव में जीवन का प्रत्येक क्षण एक अवसर ही है, विशेष बात यह है कि जो स्थान, जो स्थिति मिली है उसका सर्वश्रेष्ठ उपयोग कैसे किया जाए?

 

लक्ष्य की प्राप्ति ही वास्तविक विजय

 

मनुष्य का स्वभाव रहा है कि वह विजय प्राप्त करना चाहता है। हर व्यक्ति, अपने भविष्य को अपने वर्तमान से श्रेष्ठ बनाना चाहता है और इसके लिये वह निरन्तर प्रयत्नशील भी रहता है, लेकिन विडम्बना यह है कि अधिकांश लोग यह निर्धारित ही नहीं कर पाते हैं कि उन्हें जीवन में क्या प्राप्त करना है? उनका लक्ष्य क्या है? वो किस पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं? किस विषय-वस्तु पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं? एक वाक्य में इसे कहा जाए तो – ‘अधिकांश मनुष्यों का लक्ष्य ही निर्धारित नहीं होता।

 

मनुष्यों का जीवन नित्य नये लक्ष्यों को बनाने में लगा रहता है जबकि वे अपने एक भी लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर चुके होते हैं। जबकि किसी एक कार्य को पूर्णता के साथ, सफलता के साथ सम्पन्न किये बिना किसी अन्य लक्ष्य की ओर नहीं बढ़ना चाहिए।

 

अप्रत्यक्ष रूप से देखा जाए तो इन सभी के पीछे कारण, मात्र और मात्र संशय का होना है। अपने स्वयं की शक्ति, अपने स्वयं की योग्यता, अपने स्वयं की क्षमता के प्रति जब मनुष्य के मन में संशय, संदेह उत्पन्न हो जाता है तो वह कम से कम क्षमता वाले लक्ष्यों, कम से कम बाधा वाले लक्ष्यों को चुनता रहता है और उन कार्यों को भी अपूर्ण ही रख किसी नये लक्ष्य की तलाश में जुट जाता है।

 

संशय और संदेह से वही मनुष्य ग्रस्त हो सकता है जिसको अपनी स्वयं की शक्ति पर विश्‍वास न हो, शक्ति का तात्पर्य केवल शारीरिक नहीं है। शारीरिक शक्ति से भी कई गुना अधिक मानसिक शक्ति होती है जो मनुष्य को हिमालय की चोटी पर पहुंचा देती है।

 

श्रीकृष्ण – लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग 

 

अर्जुन शरीरिक रूप से तो सक्षम था, धनुर्धर भी श्रेष्ठ था परन्तु मानसिक शक्ति खो चुका था। उसे अपनी क्षमता पर संशय और संदेह हो गया था। ऐसी स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से उसके संदेहों का नाश किया। उसके लक्ष्यों का स्पष्टीकरण किया।

 

भगवान श्रीकृष्ण का बीज मंत्र ‘क्लीं’ है। ‘क्लीं’ सर्वाधिक सम्मोहन प्रदायक बीज मंत्र है और सम्मोहित वही व्यक्ति कर सकता है जिसे अपनी क्षमताओं, अपनी शक्ति पर पूरा विश्‍वास और नियन्त्रण हो। भगवान श्रीकृष्ण जो साधक के जीवन में संशयों को समाप्त कर, जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रेरित करते हैं। जिन साधकों को लक्ष्य निर्धारण अथवा स्वयं की क्षमताओं पर अविश्‍वास हो वे एक बार इस साधना को अवश्य सम्पन्न करें।

 

साधना विधान

 

लक्ष्य भेदन सम्मोहन साधना ही जीवन की वास्तविक साधना है, क्योंकि जब तक जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं होता मनुष्य के मन में कई इच्छाएं उत्पन्न होती हैं और समाप्त हो जाती हैं और ऐसा केवल एक बार नहीं होता यह प्रक्रिया चलती रहती है। अतः अपनी प्रबल इच्छा को सर्वप्रथम स्पष्ट करें तत्पश्‍चात् लक्ष्य निर्धारण के लिये क्रियाशील हों। यदि जीवन में लक्ष्य ही निर्धारित नहीं कर पा रहे हैं अथवा स्वय पर संशयों और संदेहों की भरमार है तो एक बार अवश्य सम्पन्न करें – श्रीकृष्ण ‘क्लीं’ साधना।

 

इस साधना को सम्पन्न करने के लिये कोई विशेष साधना विधान नहीं है। इस साधना हेतु सबसे महत्वपूर्ण प्राणप्रतिष्ठित साधना सामग्री है। इस तंत्र प्रयोग के लिए आपके पास तीन साधना सामग्री के रूप में आवश्यक हैं – श्रीकृष्ण यंत्र, लक्ष्य सिद्धि गुटिका तथा लक्ष्य सिद्धि माला।

 

‘लक्ष्य सिद्धि साधना क्लीं साधना’ गीता जयंती 30 नवम्बर 2017 अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त या किसी भी शुक्रवार से आरंभ की जा सकती है।

 

साधना दिवस पर साधक प्रातः स्वच्छ वस्त्र धारण कर, पूर्व की ओर मुख कर बैठ जाएं। अपने सामने बाजोट पर गुरु चित्र/पादुका/गुरु यंत्र का स्थापन कर, घी का दीपक प्रज्वलित कर लें, धूप-दीप प्रज्वलन के पश्‍चात् गुरुदेव का पंचोपचार पूजन सम्पन्न करें। गुरु पूजन कर गुरुदेव से साधना में सफलता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त कर लें और गुरु चित्र के सम्मुख ही एक ताम्र पात्र में कुंकुम से त्रिभुज बनाकर उस पर ‘श्रीकृष्ण यंत्र’ स्थापित करें। यंत्र के ऊपर ही ‘लक्ष्य सिद्धि गुटिका’ स्थापित कर दें।

 

इसके पश्‍चात् निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए यंत्र और गुटिका का पंचोपचार पूजन सम्पन्न करें –

 

ॐ श्रीं क्लीं कृष्णाय लक्ष्य भेदन क्लीं श्रीं हूं फट् कुंकुम, अक्षतान् पुष्पम् समर्पयामि, धुपम् आघ्रापयामि, दीपं दर्शयामि, नैवेद्यं निवेद्यामि।

 

इसके पश्‍चात् यंत्र के पास तीन आचमनी जल छोड़ दें।

 

यंत्र, गुटिका के पंचोपचार पूजन के पश्‍चात् ‘लक्ष्य सिद्धि माला’ को साधक गले में धारण कर लें। ध्यान अवस्था में कमर सीधी कर यंत्र गुटिका पर दृष्टि को एकाग्र रखते हुए श्रीकृष्ण के बीज मंत्र ‘क्लीं’ का जप करें –

 

क्लीं… क्लीं… क्लीं… क्लीं… क्लीं…

 

त्राटक करते हुए कम से कम 15 मिनट तक मंत्र जप करें। मंत्र जप के पश्‍चात् उसी स्थान पर आंखें बंद कम से कम 15 मिनट तक पुनः ‘क्लीं’ बीज का जप करें। मंत्र जप के पश्‍चात् माला को गले से निकाल कर यंत्र पर रख दें। तथा अगले दिन सम्पूर्ण साधना सामग्री को जल सरोवर अथवा नदी में प्रवाहित कर दें।

 

यह साधना साधक को लक्ष्य निर्धारण और लक्ष्य सिद्धि के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। जिन साधकों को जीवन में सफलताएं प्राप्त करने में बाधाएं आ रही हैं उन्हें निश्‍चय ही श्रीकृष्ण की इस महत्वपूर्ण साधना को सम्पन्न करना चाहिए। विशेष मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठित साधना सामग्री द्वारा यह साधना सम्पन्न की जाती है तो भगवान श्रीकृष्ण साधक के सहस्रार में स्थापित हो उसे सफलता प्रदान करते हैं।

 

साधना सामग्री – 430/-

|| Kleem Krishnaaye NamaH ||

Supremely Intense Beej Mantra

“KLEEM”

Termination of Doubts-Suspicions  … Accomplishment of Goal

Lakshya Siddhi Kleem Sadhana

Lakshya Bhedan (Achievement of Goal) – Sammohan (Hypnotism) Sadhana is the Real Sadhana of life. First clearly determine your strong desire. Thereafter take actions to achieve goals.


The core objective of Geeta as elucidated by Lord Shree Krishna is to guide the mankind to achieve success and realize their goals-targets through elimination of doubts and suspicions arising in their mind.

Thousands of interpreters have described Shreemad Bhagwad Geeta according to their own interpretations. However, the primary essence is – Achieve targets after eliminating doubts and suspicions.

You cannot achieve success whenever any doubt rankles in your life, because this suspicion halves your energy and diminishes your intellect and conscience. A golden teaching of SadGurudev Nikhil is – If you wish to realize Me, you ought to come to Me after elimination of all doubts-suspicions, only then will you be able to understand Me, and comprehend your own life.

 

Means to achieve goal

Every day brings something new into a person’s life. New events occur and new activities takes place daily. Similarly no person knows  details about the end of his life i.e. the condition, place and day of his death.  God Almighty must have strong and valid reasons to conceal this vital information about death from us. It is useless to get worried in thoughts about this topic. You should completely forget about these three fateful details in  your life.

Now let us examine, what we can control. A person can control his own actions, his lifestyle, can develop a superior personality, has potential to turn sorrow into happiness,  and possesses the methods and efforts to fulfill his wishes.  Apart from these, there are thousands of such situations and conditions which man can control himself, whence he can make his own decisions, to influence and change his own life.

This means that we have control over 98 percent of situations within our lives. Do not waste time in thinking about the birth, death and destiny, ignore all thoughts about them. It is a better strategy to think about how to improve,  and how to excel in what we can control.

 

Formula to achieve targets

Following three requirements are essential to achieve the goal –

  1. Determination of goal
  2. Actions to accomplish
  3. 3.Opportune moment

 

A pure, noble objective is the foundation for development of the self, growth of the family, advancement of the society and  progress of the country. Even good knowledge turns into sinful attribute in absence of pure, noble intentions. Therefore, we should fix our goals keeping a noble purpose in mind, and then start working towards its accomplishment.

Karma or actions is the next step after setting up the goals. Whatever you do, do it with full faith and trust. We will not be able to achieve any success, if we start doubting our own capabilities.

Anyway, there is no other alternative to Karma. Human beings cannot choose between to do or not to do. We have only one choice, to perform karmas (actions), and our wishes to perform karma automatically grants us energy and power.

Indeed, each moment of our life is the opportune moment. The main point is how to make the best use of the place and situation which has been offered to us.

 

Fulfilment of goal is the real victory

Man’s basic instinct is to win. Everyone wants to have a better future compared to the present state, and constantly strives to achieve this goal. However,  the irony is that most people are unable to determine the goals which they want to achieve in life. What is their goal? Whom do they wish to conquer? What do they desire to win? To summarize in a simple one-liner – “Most people do not have any fixed goal.”

Most of the people spend their entire life in constantly creating new goals, even though they are unable to accomplish even a single one. A golden rule is that one should not divert one’s attention towards another goal without accomplishing the current task successfully.

If we look closely, we will find that the indirect reason behind this behavior is only, and just only, the presence of doubts and suspicions. When a person develops doubts about his own energy, loses confidence on his own ability and potential capacity, then he tries to select the degraded lower-capacity-level goals having  least obstacles. Moreover, he rapidly flirts away to a new goal, without finishing the current one.

Persons suffering from doubts-suspicions are those who have  low confidence in their own energy and capacity. Energy does not mean mere physical power. Mental energy is much more  powerful than the physical power, and has the potential to lead a person to the  top summit of the Himalayas.

 

Shree Krishna – Path to accomplish goals

Arjun was physically strong and capable, was a superior archer, but he had lost his mental strength. He had started to lose confidence on his own abilities. Lord Shree Krishna assisted him in this critical situation by destroying  his doubts through the Gita. He clearly explained the goals to him.

The Beej Mantra of Lord  Shree Krishna is “Kleem“. “Kleem” is the most powerful hypnotic Mantra, and only a person having full confidence on his own abilities and powers can hypnotize others. Lord Shree Krishna inspires to fulfil the goals of life through termination of all doubts and suspicions in the Sadhak’s mind. Sadhak’s having low confidence in their abilities or struggling to setup their goals, should definitely perform this Sadhana at least once.

 

Sadhana Procedure

Lakshya Bhedan Sammohan Sadhana is the real Sadhana practice of life, because life without any goals or targets  is completely useless. Many desires arise and terminate in a person’s mind, and this is process continues throughout the life. Therefore, we should first clearly determine our strong desire, and then start setting up appropriate goals. If you are unable to establish clear goals or are trapped within multiple doubts and suspicions, then you should definitely perform – Shree Krishna “Kleem” Sadhana.

There are no specific rules to perform this Sadhana. The most important aspects of this Sadhana are the Praan-pratishthit consecrated-sanctified Sadhana articles. You require three Sadhana articles to accomplish this Sadhana – Shree Krishna Yantra, Lakshya Siddhi Gutika and Lakshya Siddhi Mala.

“Lakshya Siddhi Sadhana  Kleem Sadhana” can be started from Geeta Jayanti on 30 November, 2017 or on any auspicious muhurath-time or on  any other Friday.

On the Sadhana day, the Sadhak should wear clean clothes in early morning and sit facing East direction. Setup  Guru-picture/ Paduka/Guru Yantra on a wooden board in front of you, light a ghee lamp, and perform Panchopchaar Poojan-worship of Gurudev after lighting the dhoop-deep. Obtain blessings from Pujya Gurudev for achieving success in the Sadhana after completion of Guru-poojan. Thereafter make a triangle using Kumkum on a copper plate in front of Guru Yantra, and setup Shree Krishna Yantra on it. Place Lakshya Siddhi Gutika on the Yantra.

Thereafter perform Panchopchaar poojan of the Yantra and Gutika chanting following Mantras –

 Om Shreem Kleem Krishnaaye Lakshya Bhedan Kleem Shreem Hoom Phat Kumkum, Akshtaan Pushpam Samarpayaami, Dhoopam Aardhyaapayaami, Deepam Darshayaami, Neivedayam Nivedayaami |

 

Then drop three Achmani (spponful) water near the Yantra.

After completion of Panchopchaar poojan of the Yantra and Gutika, the Sadhak should wear the “Lakshya Siddhi Mala” around his neck. Thereafter  sitting in an erect meditational posture,  he should chant the Beej Mantra “Kleem” of Shree Krishna whilest focusing his gaze continuously on the Yantra-Gutika –

Kleem … Kleem …. Kleem …. Kleem …. Kleem …

 

Chant the mantra for at least 15 minutes whilest performing the traatak. After completion of the Mantra chanting, chant “Kleem” Mantra again for 15 minutes sitting at the same place, with closed eyes. After completion of the Mantra chanting, take out the Mala, and place it on the Yantra. Immerse the entire set of Sadhana articles in a water tank-pond or river next day.

This Sadhana is very significant to enable a Sadhak to setup and accomplish his goals. Sadhaks who are unable to achieve   success in their lives due to obstacles, should definitely perform this important Sadhana of Lord Shree Krishna. Lord Shree Krishna establishes in the Sahastraar of the Sadhak to grant success, when this Sadhana is performed using the specially consecrated-sanctified Sadhana articles, enlivened through special Mantras.

Sadhana Articles – 430 / –

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