Do not commit mistakes repeatedly (बार-बार गलतियां न दोहरायें)

बार-बार गलतियां न दोहरायें
सकारात्मक संकल्प से जीवन बदलें
सफलता का मार्ग सरल नहीं होता

 

आपकी कमजोरी, तब तक कमजोरी है जब तक आपने उसे कमजोरी मान रखा है। बाधा तब तक बाधा है जब आपने उसे बाधा मान रखा है। आपका स्वयं का व्यक्तित्व विशाल है और इसमें अनन्त शक्तियां विद्यमान हैं। अपनी शक्तियों के बारे में विचार करें और अपने नकारात्मक दोषों को हल करने के उपाय अपने मन-मस्तिष्क में ढूंढे।

 

मनुष्य स्वभाव से गलतियों का पुतला ही है। वह अपने जीवन में बार-बार गलतियां करता है, बार-बार दुःख पाता है और फिर जीवन के अनजान मार्ग पर, अनजान गंतव्य पर चल देता है। मनुष्य अपने जीवन में चलता ही रहता है, अपने जीवन में कष्ट, दुःख और यातना प्राप्त करता रहता है और आश्‍चर्य की बात यह है कि मनुष्य अपने जीवन में बार-बार वही गलतियां करता रहता है जो वह पहले कर चुका है अर्थात् वह अपनी ही गलतियों को दोहराता रहता है भले ही उनका स्वरूप बदल जाए। सामान्यतः मनुष्य को अपने जीवन में न तो परिवर्तन की कोई चिन्ता होती है और न ही वह गलतियों से संकल्प ले पाता है कि वह अपने जीवन में आगे कुछ सीखेगा।

 

जीवन चलता रहता है और समय हाथ से निकल जाता है। क्योंकि समय पर किसी का अधिकार नहीं है। मनुष्य यह सब जानता है परन्तु उसने अपने मन मस्तिष्क को इतना भारी और विचित्र बना रखा है कि बार-बार चोट खाने पर, बार-बार गिरने के बावजूद भी वह वही गलतियां दोहराता रहता है। जिसके कारण उसने अपने अतीत में असह्य दुःख पाया था।

 

एक सुन्दर कथा आती है कि दो मित्र हरीश और रमेश रात के अंधरे में चलते जा रहे थे और चिल्ला-चिल्ला कर बातें कर रहे थे। हरीश ने बोला – अरे! रमेश ‘क्या है यह जिन्दगी?’ समझ में ही नहीं आती? केवल दुःख ही दुुःख जिन्दगी में है। दो पल का सहारा भी नहीं है इस जिन्दगी में। नौकरों की तरह पूरे दिन काम-काम और काम में लगे हुए हैं। जीवन में कोई आशा नहीं है। मैं तो इस जीवन से बड़ा परेशान हो गया हूं।
इतने में दूसरा मित्र रमेश बोला – देख भाई! हरीश। अब आगे गड्ढ़ा आने वाला है अपन जरूरी गिर जाएंगे।

 

और वास्तव में दोनों दोस्त फिसल कर गड्ढ़े में गिरे, दोनों उठे  और अपने-अपने कपड़े झाड़ कर पुनः चलने लगे।

 

अब रमेश बोलने लगा – यार! मित्र, ऐसा ही खराब जीवन है, जीवन में पत्नी-बच्चे, घर वाले सब हैं लेकिन सब अपनी मर्जी से चलते हैं। जब इच्छा होती है तो अच्छे से बात करते हैं और कभी भी नाराज हो जाते हैं। मैं सोच रहा हूं कि अब आत्महत्या कर ही लूं।

 

अबकी बार पहला मित्र हरीश बोला – ‘देख भाई! आगे गड़्ढा आने वाला है।’ फिर दोनों गड्ढ़े में गिरे, दुनिया को गालियां देते हुए, बड़बड़ाते हुए उठे और आगे चल दिये।
एक संत महाराज ने उनकी बातें सुनी और सोचा कि इन्हें बुलाकर बात करूं, इन्हें कुछ समझाऊं। इस पर उनके एक सहयोगी ने कहा महाराज आप इन दोनों युवकों की बातें सुनकर परेशान न हों। ये दोनों युवक अमीर पिताओं के पुत्र हैं। रोज रात को शराब पीकर इन्हीं गड़्ढ़ों में गिरते हैं, इन्हीं गड्ढ़ों को गालियां देते हैं और रोज अपनी दुःख भरी कहानी प्रारम्भ कर देते हैं।

 

महात्मा जी को दिव्य ज्ञान हुआ कि वास्तव में इस छोटी सी बात से कि – ‘रोज इन्हीं गड्ढ़ों में गिरते हैं और रोज अपनी दुःख भरी कहानी शुरू कर देते हैं और रोज यही क्रम दोहराते हैं’ इसी में जीवन मुक्ति का मार्ग और मुक्ति के मार्ग में आने वाले अवरोध का सत्य ज्ञान है।

 

मनुष्य भी ईश्‍वर के समान ज्ञानबल और पराक्रम का स्वामी है। उसमें भी असीमित शक्ति और प्रज्ञा का सामंजस्य है। बस एक ही कमी है मनुष्य में, वह कमी है – संकलित एकाग्रता की शक्ति। जिसके कारण उसका स्वरूप और शक्ति हजार-हजार भागों में बंटी रहती है और वह पूर्णत्व को प्राप्त नहीं कर पाता, अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता। अपने जीवन में मुक्ति को प्राप्त नहीं कर पाता।

 

हिन्दू धर्म के अनुसार जब सृष्टि का निर्माण हुआ तो सर्वशक्तिमान ईश्‍वर ने सब पशु-पक्षियों का निर्माण करने के पश्‍चात् मनुष्य का निर्माण किया। तब ईश्‍वर की सहयोगिनी शक्ति ने यह प्रश्‍न किया कि – हे देवाधिदेव! आपने जो निर्माण किया है वह सम्पूर्ण है, अलौकिक है, सुन्दर है इसमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। इस प्रकार आपने तो मनुष्य की जगह देवताओं का निर्माण कर दिया है, जबकि आप तो मनुष्य बनाना चाहते थे।

 

सर्वशक्तिमान ईश्‍वर ने हंस कर अपनी भूल स्वीकार की और इन मनुष्य पुतलों में कोई न कोई कमी रखनी प्रारम्भ कर दी।

 

सफलता के लिये देवता बनने के सभी गुण प्रदान कर दिये पर उसी मनुष्य में लोभ-लालच-मोह की इतनी कामनाएं दे दीं कि वह अपने लक्ष्य पर एकाग्र ही नहीं हो सके, परन्तु उसी मनुष्य में ईश्‍वर ने उसके मन-मस्तिष्क में ‘सकारात्मक संकल्प’ भाव की वह चाबी भी रख दी, जिससे मनुष्य अपनी स्वयं की कमजोरियों को पूर्ण शक्ति में परिवर्तित कर अपने जीवन को पूरी तरह से जीत सके। उस जीवन का पल-पल आनन्द ले सके और उसे जीवन में जीत प्राप्त हो।
इस मनुष्य के मन की पहेलियां बड़ी विचित्र हैं, यह सब जानते हुए भी अपनी आंखें बंद ही रखता है। भविष्य में घटने वाली घटनाओं के कार्य और उनके परिणाम उत्तर आदि से मुंह फेर कर खड़ा हो जाता है। वह ठीक उसी प्रकार से कार्य करता है जैसे एक भैंस अपना चारा खाकर, अपने चारे के बर्तन को ही पलट देती है। शायद वह यह सोचती है कि अब उसे इसकी क्या आवश्यकता है, जबकि उसको बार-बार इसी क्रम से गुजरना पड़ेगा।

 

जो लोग अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर संकल्प के सहारे आगे बढ़े हैं वे ही अपने जीवन में महान् व्यक्तित्व बन सकते हैं। तुलसीदास जी ने अपनी पत्नी के तानों से वासना और वैराग्य का अन्तर जाना और अपनी इस कमजोरी पर विजय प्राप्त कर महान् ज्ञानी, लेखक बन गये।

 

वाल्मीकि ने डकैती के पाप में यह जाना कि ‘अपने कार्य के दोषों का केवल वही भागीदार है। अपने कर्मों का फल उसे ही भोगना पड़ेगा।’ यह जानकर कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ और डाकू रत्नाकर से वाल्मिकी बन गये।
बुद्ध ने अपने जीवन क्रम में एक सामान्य व्यक्ति जैसी, भीड़ जैसी जिन्दगी जीने को धिक्कारा और अपनी संकल्प शक्ति से युग पुरुष बन गये।

 

जब आप अपनी कमजोरियों और सकारात्मक शक्ति की बात करते हैं तो यह भूल जाते हैं कि आपका स्वयं का व्यक्तित्व विशाल है और इसमें अनन्त शक्तियां विद्यमान हैं। आपको अपने स्वयं के व्यक्तित्व की ही पूर्ण जानकारी नहीं है। इसलिये आप स्वयं अपना पूरा निरीक्षण करें, अपनी शक्तियों के बारे में विचार करें और अपने नकारात्मक दोषों को हल करने के उपाय अपने मन-मस्तिष्क में ढूंढ़ें।

 

अपनी गलतियां, अपनी बाधाएं और अपनी शक्ति की खोज कैसे करें?

 

1. अपनी कमजोरियों और असफलताओं के बारे में सोचते समय इस बात को अवश्य ध्यान में रखें कि आपको कैसे मालूम पड़ा ये कमियां हैं? यदि किसी के कहने से, समाज भय से अथवा दो-चार बार की विफलताओं से आपको अपनी कमजोरी की जानकारी हुई है तो आप पुनः जोर-शोर से पुनः प्रयास करें।

 

2. यदि आपको विफलता प्राप्त हो रही है तो ये विफलताएं आपको बता रही हैं कि आपके जीवन में सिद्धान्त, जीवन मूल्य और विचार का अभाव हो रहा है। सर्वप्रथम जीवन के सिद्धान्त और विचारों का एक संयोजन करना है। जिन लोगों से, जिस स्थिति से आप आहत हुए हैं, आपको चोट लगी है, आपको विफलता प्राप्त हुई है तो उनका त्याग कर पूर्ण शक्ति से आत्म केन्द्रित होने की ओर ध्यान दें। यदि आप बार-बार असफलता की स्थिति और आपको जिन्होंने असफलता दी हैं, बाधाएं दी हैं उन्हीं के बारे में आसक्ति रखी, उन्हीं के बारे में सोचते रहे तो आप कमजोर ही बने रहेंगे। आपको अपनी कमजोरियों को शक्ति में बदलना है।

 

3. मनुष्य का यह स्वभाव है कि वह कठिन का विरोधी होता है, वह अपना जीवन भी सरलतम चाहता है। सब कुछ सरलता से प्राप्त करना चाहता है लेकिन इसके पश्‍चात् सफलता का कोई मार्ग प्राप्त नहीं होता है। जबकि जीवन में कठिनाई भरे मार्ग में शक्ति, श्रम की वृद्धि की आवश्यकता रहती है और उसके बाद ही केवल और केवल जीवन का मार्ग सरल या सहज होता है।

 

स्पष्ट बात है कि कठिन मार्ग पर चलने के लिये श्रम और शक्ति में वृद्धि करने की आवश्यकता है। सरल मार्ग से सफलता प्राप्त नहीं हो सकती।

 

4. संकल्प में इतनी अधिक प्रबल शक्ति होती है कि इससे सारी दुर्बलताएं जल कर भस्म हो जाती हैं। शिव का महाताण्डव यही दर्शाता है कि संकल्प में प्रबल शक्ति निहित है। हर बार दूसरों का सहारा लेने, दूसरों की सहायता लेने का जीवन ढंग छोड़ दीजिये। आप अपनी आत्म शक्ति का चिन्तन करें और उसी के अनुसार अपना जीवन जीएं। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपनी शक्ति के कारण अहंकारी हो जाएं, मधुर व्यवहार सबसे बनाए रखिये।

 

जितने आप बहिर्मुखी हों उतने ही आप अन्तर्मुखी होने का प्रयत्न भी अवश्य करें। केवल बाह्य व्यक्तित्व के बारे में विचार न करें। केवल दूसर लोगों को ही नहीं देखें, अपने भीतर भी देखेंं इस आन्तरिक संसार में खोजने के लिये बहुत है और आपके भीतर का संसार ही आपको जीवन के उच्चतम शिखर पर ले जा सकता है।

 

आपकी कमजोरी, तब तक कमजोरी है जब तक आपने उसे कमजोरी मान रखा है। बाधा तब तक बाधा है जब आपने उसे बाधा मान रखा है। अपने व्यक्तित्व के जिस गुण पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया है उसे हम अपनी कमजोरी मानने लग जाते हैं। जब आप संकल्प कर अपनी कमजोरी को हटाने के लिये क्रियाशील हो जाते हैं तब आप उस पर विजय प्राप्त कर लेते हैं और वह कमजोरी बाधा आपके जीवन से चली जाती है।

 

सदैव याद रखें कि सर्वशक्तिमान ईश्‍वर ने आपको बनाया है। वह आपके जीवन को बाधा रहित बनाना चाहता है। उस सर्व शक्तिमान ईश्‍वर ने हर बाधा पर विजय के लिये और आपकी हर कमजोरी के समाधान की एक कुंजी, चाबी अवश्य बनाई है। अपने मन को एकाग्र कर उस कुंजी को ढूंढ़ें वह कुंजी आपको अवश्य प्राप्त होगी।

 

सदैव आत्म चिन्तन करते रहें
Do Not Repeat Mistakes Again and Again

Change your life through Positive resolutions
The road to success is not easy

 

Your weakness, is your weakness, until you believe it to be your weakness. The obstacles are your obstacles until you consider them as your obstacles. Your own personality is vast and magnificent, and it has infinite potential. Think about your strengths and search in your own mind for methods to resolve your negative defects.

 

It is in human nature to commit mistakes. He commits multiple mistakes in his life, suffers repeatedly and then starts on an unknown path towards an unknown destination. A person continues to move on in his life, keeps on suffering troubles, pain and torture, and it is surprising that the person commits the same mistakes which he has already committed earlier i.e. he continues to repeat the same mistakes, even if they assume different forms. Generally a person is neither concerned about changes in his life, nor he learns from these mistakes to learn something new.

 

The Life continues and time gets out of hand. Because nobody has control over time. A person knows all these facts, but he has made his mind-heart so bizarre and heavy that he repeats the same mistakes even after repeatedly falling and getting hurt; which had caused him unbearable sorrow in the past.

 

There is a beautiful legend that two friends were walking in the darkness of night and were talking very loudly. Harish said – “Oh! Ramesh ‘what is this life?’ I cannot understand it. This life consists of only pain and sorrows. There is no respite even for two moments in this life We are engaged in work whole day like slaves. There is no hope in life. I have grown very sick of life.

 

Then his friend Ramesh replied – Listen brother! Harish. There is a pit ahead and we may fall into it.

 

And really, both friends slipped and fell into the pits; both got up, dusted their clothes and started to walk again.

 

Now Ramesh started to speak – Man! Friend, ours is such a bad life. We have wife-children, a family; but all of them live as per their desire. When they wish to, they speak well with us, otherwise they get angry. I am contemplating suicide.
Now it was the turn of the first friend, Harish – Look brother! There is another pit ahead. They both again fell into the pit, abused the world, and while murmuring, got up and walked forward.

 

A saint overheard them and thought about calling them and giving them some guidance. At this his aide told him not to worry about the talk of those two youths. They are sons of rich fathers. They drink daily and fall into these pits, abuse these pits and and start their sorry tale of woes.

 

The saint listened to these words and realized the Divine wisdom of these words – They fall into these pits daily, and restart their sad tale of woe; and this cycle repeats daily.  This itself contains the path to obtain salvation in life and the obstacles in the path of liberation.

 

Man also possesses the knowledge and strength similar to God. He also has combination of unlimited power and wisdom. There is only one fault in man, and this fault is – Lack of Power of Concentration. This causes division of his power and energy into thousand of small bits, and therefore he cannot achieve perfection, cannot achieve his goals. Cannot achieve salvation in life.

 

According to Hinduism, when this universe was created by the Almighty God, He created human beings after creating all flora and fauna. Then His assistant Shakti questioned Him – O Lord of Gods! Whatever you have constructed, is complete, is uniquely perfect, is beautiful, and there is no shortage of any kind in this. In this way, you have created Gods instead of humans, which you wanted to create.

 

Almighty God laughed and admitted His mistake and started to incorporate deficiency of some sort in each of these human creations.

 

He has granted all the qualities required to achieve success, He has also given excessive desires for greed-avarice-obsessions such that the human is not able to concentrate on his basic goal. God also added the key of “Positive Resolution” in his mind-heart, so that the human can transform his weaknesses into absolute power to achieve complete success in life. To enjoy every moment of his life and to achieve successes in the life.

 

The puzzles of the human mind are very strange, it knows everything, yet it keeps its eyes shut. He turns his gaze away from the events and the results of the future actions. His actions are similar to that of a buffalo, which upturns the feed pot, after eating her fodder. Perhaps she thinks that she will not need it again, while she will need to eat its again and again.

 

Only those who could conquer their weaknesses through strong resolutions have progressed in their life, and they have become great personalities. Tulsidas realized the difference between lust and ascetism through the taunts of his wife, and became a great wise writer after conquering this weakness.

 

Valmiki realized in the sin of his robbery that – only he is responsible for the sins of his actions. Only he will have to suffer the fruits of his sinful deeds. He realized wisdom after comprehending this Divine truth and turned into Valmiki from Dacoit Ratnakar.

 

Buddha cursed his life path which was leading him to a general person, part of a crowd; and turned into a man of an Era, though his sheer determination.

 

When you talk about your weaknesses and positive energy of your own personality then you forget that your personality is vast and magnificent and that it has an infinite potential. You do not have complete knowledge about your own personality. So you should examine your full self, think about your strengths and search in your mind-heart about methods to resolve your negative defects.

 

How to search for own mistakes, own obstacles and own energy?

 

1. While thinking about your weaknesses and failures, you should certainly examine how you realized these  drawbacks? If you realized them through someone’s comments, fear of society or two-three failures; then you ought to swing back and try again with full vigor.

 

2. If you are receiving failures, then these failures are indicating to you that your life lacks principles, human-values and thoughts. First you need to make a combination of the principles of life and proper thoughts.  Discard the people, the situations which caused you hurt and pain, and led to failures; and instead concentrate on a self-centred focus with absolute full energy. If you constantly keep thinking about the failure situations, and people who caused these failures, and those obstacles; then you will forever remain weak. You have to transform your weaknesses into strengths.

 

3. It is the nature of man that he is generally opposed to hard work, he wants simplicity in his life. He wants to obtain everything easily, but this does not lead to success. The difficult paths in life require continuous enhancement of energy and labor-exertions; and only then life becomes simple or intuitive.

 

It is clear that one requires increase in energy and labor-efforts to lead the difficult path of life. Success can not be achieved by easy methods.

 

4. The resolution is such a great potent force that it consumes all vulnerabilities within it. The MahaTandav Dance of Lord Shiva demonstrates the strong power of determination. Stop leaning on others or takings assistance from others every time. Think deeply about your own self-power and lead your life accordingly. This does not mean that you become arrogant due to your power, maintain sweet relations with everyone.

 

Try to become as much introverted as you are extroverted. Do not just look at the external personality. Do not just look at others, look deeply inside your own self too. There is lot to search for in this internal world, and only this internal world can take you to the pinnacle heights of success in life.

 

Your weakness is your weakness until you consider it as your weakness. Your obstacles are your obstacles till you consider them as your obstacles. Whatever trait of our personality we ignore, we start acknowledging it as our weakness. When you become determined to take action to remove your weakness, then you win over it, and that weakness obstacles departs from your life.

 

Always remember that the Almighty God created you. He wants to make your life obstacle-free. The Almighty God has made a key for you to conquer every obstacle and to resolve all your weaknesses. Search for that key after converging your mind, you will certainly find that key.

 

Continue to self-reflect, always.
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