Dialogue with loved ones – September 2022
अपनों से अपनी बात…
मेरे प्रिय साधकों,
शुभाशीर्वाद,
गुरु पूर्णिमा का भव्य महोत्सव आपके साथ सम्पन्न किया। शिष्य पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा का मिलन हुआ। पूर्ण शिष्य और पूर्ण गुरु का मिलन हुआ। सौभाग्य कीर्ति महोत्सव था।
आज मैं तुम्हें यह बात पुनः पूछता हूं कि सौभाग्य और कीर्ति कब आते है? क्या यह ईश्वर द्वारा दिया गया वरदान है जो आपके झोली में अनायास ही टपक जाते है या फिर सौभाग्य और कीर्ति के लिये संघर्ष करना पड़ता है?
निश्चित रूप से संघर्ष करना पड़ता है। यहां यह एक बात मैं विशेष रूप से पूछ रहा हूं कि क्योंकि आप सब अपने जीवन में चाहते बहुत कुछ है पर जिन्दगी के समन्दर में शांति कब आयेगी? इस समन्दर में लहरें तो निरन्तर चल रही है। पर एक बात निश्चित है कि तूफान के बाद ही शांति आती है। यदि जिन्दगी में तूफान नहीं आये, तो समझ लेना तुम्हारी जिन्दगी खोखली है, डरी हुई है, तुमने जिन्दगी के समन्दर में अपनी किश्ती को उतारा ही नहीं है, लहरों का सामना किया ही नहीं है। मंजिल तुम्हारे सामने थी, साहिल अर्थात् किनारा सामने था पर डर कर इस किनारे ही बैठे रहे, जाना था उस पार पर इस किनारे ही बैठे रहे, सोचा कि इस किनारे शांति है।
पर लक्ष्य तो उस पार जाना है और बीच में लहरें है, तूफान है तो क्या करें? जिन्दगी की नाव को समुद्र में उतारा ही नहीं है, अपनी पतवार को अपने हाथ में रखा ही नहीं। जिस दिशा में लहरें ले जायेगी, उस दिशा में जाने दे जिन्दगी को।
ऐसे तो तुम्हारे विचार नहीं है, क्योंकि तुम्हारा लक्ष्य है, जीवन में सौभाग्य कीर्ति के साथ शांति को प्राप्त करना और शांति का सबसे बड़ा सूत्र है यह शांति तूफानों के बाद ही आती है। रात गुजरेगी तो सूर्योदय होगा, आप अंधेरी रात को शांति की परिभाषा मत दे देना।
वहां तूफान ही थम जाते हैं,
जहां कश्तियां जिद पर होती है…
यह मत समझ लेना कि कुछ पाने के लिये, कुछ खोना पड़ता है, पर इतना ध्यान रखना कि कुछ पाने के लिये संघर्ष अवश्य करना पड़ता है, तूफानों का सामना करना ही पड़ता है।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिन्दगी का इम्तिहान होता है,
डरने वाले को मिलता नहीं, कुछ जिन्दगी में,
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है।
अरे भाई! जंग होगी तभी शांति होगी। जिन्दगी की ये ही फिलॉसोफी है, लोग क्यों हार जाते है क्योंकि वे संघर्ष करना नहीं चाहते और एक बात सदैव ध्यान रखों कि संघर्ष के बाद हार नहीं होती और यदि संघर्ष के बाद मनचाहा नहीं भी मिल पाया तो यह आत्म सन्तुष्टि तो प्राप्त होती है कि हमने पूरे प्रयास के साथ कार्य किया।
यह भाव और अधिक शक्ति का आपके भीतर संवर्धन करता है, करना बस एक ही काम है अपनी बिखरी हुई शक्तियों को एकजुट करना है, एक सूत्र में पिरोना है।
कौन है संसार में ऐसा जिसे पहले ही प्रयास में जीत मिल गई। हर कोई तो राजपुत्र होता नहीं कि उसे उत्तराधिकार में अपने आप गद्दी मिल जाये। आप चल रहे है गुरु के मार्ग पर, ज्ञान के मार्ग पर। गुरु ज्ञान का प्रकाश अपने हाथ में लेकर, फिर क्यों व्यर्थ विचलित होते है?
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
मेरे आशीर्वचन में एक ही बात मैं आपको बार-बार कहता हूं – प्रयत्ना तु सफला सन्तु, सफलता सन्तु मनोरथा… तुम प्रयत्न करो। प्रत्यन करोगे तो ही सफलता मिलेगी। तुम्हारे प्रयत्न सफल हो।
जिसने जिन्दगी में कभी गर्मी, सर्दी, बरसात को झेला ही नहीं उसका शरीर तो कमजोर ही होगा ना।
यह सारा संसार एक घना जंगल है, इस जंगल में सब कोई सफलता के लिये दौड़ रहा है लेकिन सफलता के लिये प्रयत्न क्या होना चाहिये वह उसे मालूम नहीं है। इसलिये ज्यादातर लोग अपनी-अपनी खोह में, अपनी-अपनी गुफा में दुबके रहते है और सोचते है कि तूफान आयेगा और चला जायेगा।
तूफान तो जायेगा ही, प्रकृति का नियम तूफान नहीं है। प्रकृति का नियम शांति है और उस शांति के लिये ही बार-बार बदलाव होता है।
एक बात सदैव याद रखों, जो बीज आपने अपने मन में अंकुरित किया है उसके वृद्धि के लिये पूरी तरह से सदैव प्रयत्नरत रहो। एक कार्य में सफलता नहीं मिली, दूसरे में नहीं मिली, कोई बात नहीं, तीसरी बार और प्रयत्न करेंगे।
असफलता के डर से, अपनी हार के डर से अपनी आत्म ज्योति को मंद मत होने देना। एक बार मंद हो गई तो तुम्हें मंद ज्योति की ही आदत पड़ जायेगी।
कभी भी अपने आपको झूठी तसल्ली मत दो और कभी भी अपने आपको झूठी खुशी भी मत दो। जो खुशी तुम्हें आत्मा से प्रसन्न कर दे, उस खुशी के लिये निरन्तर प्रयत्नशील रहो।
जहां संघर्ष नहीं होगा, वहां बल भी नहीं होगा। जहां संघर्ष है वहां शौर्य है।
सदैव स्मरण करना है, हे ईश्वर! आप नित्य मुझे एक नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान कर रहे है। उस जिन्दगी के लिये जो मैं चाहता हूं, मैं अपनी गलतियों से सीख रहा हूं और उन्हें अपने जीवन से हटा रहा हूं, आपका प्यार मुझे नित्य प्रति प्राप्त हो रहा है, आप मुझे हर स्थिति में हौसला दे रहे है और आपका प्यार किसी शर्त से बंधा नहीं है। आपका अथाह प्रेम जिससे मैं आपका मूर्त स्वरूप बनकर इस संसार में सदैव प्रसन्न हूं, इसके लिये मैं आपका आभारी हूं, कृतज्ञ हूं।
गुरु ने तुम्हारा हाथ पकड़ा है ना, बस तुम अपनी शक्तियों का संवर्धन करते जाओं।
नवरात्रि में दुर्गा शक्ति की नवार्ण साधना के साथ अपने मन की शक्ति की भी साधना करना। शिव भी तुम्हारे भीतर है, दुर्गा भी तुम्हारे भीतर है। उसके आलोक में सदैव अपने व्यक्तित्व को देखना।
-नन्द किशोर श्रीमाली
Coming soon…
Nand Kishore Shrimali