Dialogue with loved ones – March 2021
अपनों से अपनी बात…
प्रिय आत्मन्,
शुभाशीर्वाद,
हर-हर महादेव…, फाल्गुन मास चल रहा है, आप सभी आनन्द और मस्ती में सदाशिव का अभिषेक करने हेतु उत्सुक है। जहां शिव है, वहां आनन्द है। शिव हमारे मन में भी रहे और शिव की भांति हम शक्ति से युक्त होकर परमानन्द के साथ निरन्तर और निरन्तर प्रसन्नता, रस, ज्ञान, तपस्या से युक्त रहे। भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्ष शिव की भांति परिपूर्ण हो।
पूजाऽवसान समये दशवक्रत्र गीतं यः शम्भु पूजन मिदं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथ गजेन्द्र तुरंग युक्ता लक्ष्मी सदैव सुमुखि प्रददाति शम्भुः॥
शिव ताण्डव स्तोत्र की फल श्रुति में यह कहा गया है कि जो साधक नियमित रूप से शिव पूजन, शिव ताण्डव स्तोत्र और अभिषेक करता है उसे भोलेनाथ शंभु की कृपा से रथ, हाथी, घोड़े, गाड़ी सभी सुस्थिर हो जाते हैं अर्थात् लक्ष्मी उनके घर-परिवार में अचल स्थिर हो जाती हैं।
इस महाशिवरात्रि में पूरे मनोयोग के साथ शिव अभिषेक करना है और एक बात जो मैं आपसे अवश्य कहता हूं कि आपको अपने मन का भी अभिषेक करना है और अपने मन को सदैव नवरस नवीनता से परिपूर्ण रखना है। अपने इस मन को कभी शुष्क मत रहने दो, इसमें भावनाओं, इच्छाओं, कामनाओं और साथ ही तीव्र क्रिया की लहरें चलने दो। आपकी सब क्रियाएं सही मार्ग पर गतिशील हो रही है, यह मेरा विश्वास है।
शिव रसेश्वर है और गुरु भी आपको जीवन में आनन्द का रसास्वदन कराना चाहते है। आपकी हजार इच्छाएं हो सकती है लेकिन गुरु की एक ही इच्छा होती है कि मेरे शिष्य आनन्द रस से आप्लावित रहे।
जब मैं कहता हूं आनन्द भाव से रहो तो आप कहते है कि बस मेरे ये काम हो जायेंगे तब मैं आनन्दित हो जाऊंगा। प्रार्थना भी करते हो, मंत्र जप भी करते हो, साधना भी करते हो और चतुराई से अपने इष्ट के आगे, शिव के आगे, गुरु के आगे मांगों की फेहरिस्त भी पकड़ा देते हो, कोई बात नहीं।
शिव और शक्ति की कृपा से सब काम सफल होंगे, कामनाएं पूर्ण होगी। लक्ष्मी साधना में भी लक्ष्मी से यही कहते हो –
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने
धन में लभतां देवी सर्वकामांश्च देहि में
हे महालक्ष्मी मेरे सभी कार्य सिद्ध करो, मुझे धन, घोड़े और गाय दो। आज के सम्बन्ध में कहें तो यह प्रार्थना होगी कि हे लक्ष्मी आप मुझे धन, वाहन सुख और कामना सिद्धि प्रदान करे। मेरी सभी इच्छाएं पूर्ण हों।
शायद सब लोग सोचते है कि धन के बगैर ब्रह्मानन्द नहीं आ सकता और जब तक सारी सुख सुविधाएं नहीं मिल जाती, तब तक आनन्दित नहीं हो सकते हैं। आज आप अवश्य सोचना कि क्या यह विचार, यह सोच पूरी तरह से सही है? देखों, धन अवश्य कमाना चाहिए क्योंकि घर है, परिवार है लेकिन यह भी विचार करना कि धन कमाते-कमाते कहीं आनन्द को न गंवा बैठे।
धन के अभाव में आनन्द की कमी और धन कमाने की दौड़ में आनन्द का क्षय।
आपको ऐसा लगता है कि केवल आपके साथ ही सारी समस्याएं हैं, अब मेरे लिये एक विकट समस्या है कि मैं कैसे आपके जीवन में ब्रह्मानन्द रूपी शिव स्वरूप आनन्द सुनिश्चित करूं।
आप सोचते हो कि जब समस्या का समाधान हो जायेगा तब आनन्द मिलेगा और मेरी सोच है कि आनन्द की अनुभूति करो, समस्या सुलझ जायेगी, समाधान हो जायेगा।
अब जीवन की समस्याएं तो अनन्त है जितना इन पर आप चिन्ता करते रहते हो, उतनी ही आपकी प्राण शक्ति का क्षय होती है। स्पष्ट है कि जितना अधिक मन परेशान होगा उतना ही आपके जीवन में आनन्द कम होगा। इसका भी मैं उपाय बता देता हूं।
देखों, बिजली चली जाये तो अंधेरा छा जाता है उस समय आप मोमबत्ती जला देते हो। वह भी बुझ जाये तो दूसरी मोमबत्ती जला देते हो। इस बात को समझो, आप सब के भीतर एक प्रकाश है और समस्याओं के कारण वह आन्तरिक प्रकाश बुझ गया है या मंद हो गया है। गुरु रूप में मेरा कार्यभार है कि मैं आपके भीतर उस प्रकाश को अपने आन्तरिक प्रकाश से प्रज्वलित कर दूं। यही तो शक्तिपात की क्रिया है।
इस बात को जानों कि भीतर का प्रकाश क्यों बंद पड़ गया है। भीतर किसका स्थान है, भीतर इष्ट का स्थान है, शक्ति और शिव का स्थान है। उनसे कहीं न कहीं सम्पर्क कमजोर हो गया है। मैं तुम्हारे इस भीतर के अमृत कुण्ड को बार-बार जाग्रत करना चाहता हूं जिससे तुम स्वयं समस्याओं के कारण और उनके निदान के लिये प्रखर रूप से ज्ञान, बुद्धि से युक्त होकर क्रिया कर सको। इसी कारण मैं तुम्हें नियमित अभिषेक करने को कहता हूं, साधना एवं मंत्र जप के लिये कहता हूं।
समस्याएं घनी नहीं है, समस्याओं को सुलझाने की चाबी खोजनी है तो आज से तीन काम करो।
1. बहुत आनन्द में कोई वचन मत देना
2. बहुत क्रोध में कोई वचन मत देना, उत्तर मत देना
3. बहुत दुःख में कभी अपना मूल्यांकन मत करना
अब यदि आप अपने जीवन में यह तीनों करते हो तो समस्याएं आयेंगी क्योंकि आप अतिरेक में चल रहे हो, आवेश में चल रहे हो पर इससे अधिक समस्या का कारण है, आपका उन पर संदेह करना, उनकी निन्दा करना जिन पर सिर्फ और सिर्फ श्रद्धा और विश्वास ही करना है।
भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ
याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धा स्वान्तःस्थमीश्वरम्
जीवन में शक्ति श्रद्धा है और शिव विश्वास। इसके बिना कोई कार्य नहीं होगा और जो कुछ घटित हो रहा है उसमें ईश्वर की मर्जी है।
जहां श्रद्धा है और विश्वास है वहां जीवन में प्राणदायी शक्ति है। वही ब्रह्मानन्द है। आप सभी जीवन में पल-पल उस ब्रह्मानन्द की अनुभूति करें।
-नन्द किशोर श्रीमाली
Coming soon…
Nand Kishore Shrimali