Dialogue with loved ones – August 2022

अपनों से अपनी बात…

मेरे प्रिय साधकों,

शुभाशीर्वाद,

एक बात तो बिल्कुल पक्की है, आप सबको जीवन में शांति चाहिये, जीवन में संतोष चाहिये और जीवन में कामनाओं की पूर्ति भी चाहिये। आपकी पूजा, पाठ, ध्यान इन तीन तत्वों की प्राप्ति के लिये ही तो है। संतोष, शांति और कामना पूर्ति। साधु और गृहस्थ सब की यही इच्छा रहती है। आपमें और संन्यासी में कोई बहुत बड़ा भेद नहीं है।

एक बार एक व्यक्ति के मन में यह इच्छा हुई कि मैं एकान्त में जाकर ध्यान करूं, झील किनारे रहता था। अपनी छोटी सी नाव को झील के बीचों, बीच ले गया और लंगर डाल दिया। चारों ओर पानी ही पानी, कोई उपद्रव नहीं, कोई व्यवधान नहीं, न किसी का आना, न किसी का जाना।

मन को शांत किया, नेत्र बंद किये और ध्यान लगाना प्रारम्भ किया।

यह जो चुप्पी होती है ना यह बड़ी अशांत होती है। मौन सबसे ज्यादा अशांत करने वाला होता है। कई घण्टों की अशांत चुप्पी के बाद उसे महसूस हुआ कि मेरी नाव से कोई और नाव टकरा रही है। नेत्र बंद थे और भीतर ही भीतर क्रोध बढ़ता जा रहा था कि इस स्थान पर भी कौन मेरे ध्यान में व्यवधान डाल रहा है क्या उसे मेरी नाव दिखाई नहीं दे रही है?

मन में अशांति, क्रोध का लावा फूट पड़ा। उस नाविक पर चिल्लाने के लिये, जिसने उसके ध्यान को भंग करने का दुस्साहस किया।

क्रोध से नेत्र खोलें और देखा तो महान् आश्‍चर्य सामने एक खाली नाव जो तैरते-तैरते आ गई थी, उसकी नाव से टकरा रही थी, उस पर कोई नहीं बैठा था।

उसी क्षण उसे आत्मसाक्षात्कार हुआ, अरे! क्रोध तो मेरे भीतर है, अशांति तो मेरे भीतर है उसे बाहर निकलने के लिये केवल एक वस्तु के टक्कर, एक छोटे से उपद्रव की आवश्यकता है।

आत्मज्ञान हो गया, अरे! क्रोध तो मेरे भीतर ही है। बस उसके बाद सबकुछ शांत हो गया। जब भी वह किसी व्यक्ति से मिलता, जो उसे चिढ़ाने का प्रयास करता या उसकी निन्दा करता, या अपशब्द बोलता तो वह अपने आपको याद दिलाता यह बाहरी वस्तु है, दूसरा व्यक्ति केवल एक खाली नाव है। क्रोध मेरे भीतर है, मुझे अपने भीतर के क्रोध को शांत करना है। दूसरे की छोटी सी टक्कर से प्रभावित नहीं होना है। अपने अन्तर्मन को शांत रखना है।

यही बात सबके जीवन में है क्यों करते है हम दूसरों पर गुस्सा? क्यों हम दोष देते है परिस्थितियों को? क्यों हम चिढ़ते है दूसरों से?, क्यों हम अपने को ऊंचा और दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास करते है? इन सबसे क्या होगा? जो हम है उस हम पर ही ध्यान दें।

‘अहम् ब्रह्मास्मि…’, मैं ही ब्रह्म का स्वरूप हूं… का सूत्र है, उसी को मनन करें।

कुछ सलाह, कुछ उपदेश दे रहा हूं जो भी इनमें से अच्छे लगे उन्हें अपना ले।

जिन्दगी में कुछ नम्बर गैर जरूरी होते है, जैसे उम्र, वजन, ऊंचाई। इन्हें हटा दें, इसके लिये व्यर्थ की चिन्ता नहीं करें। उम्र बढ़ने को आप रोक नहीं सकते हो, तो फिर चिन्ता क्यों? लम्बाई अपनी बढ़ा नहीं सकते, फिर चिन्ता क्यों? वजन 1-2 किलो बढ़ गया, घट गया तो फिर चिन्ता क्यों?

खुद भी खुश रहे और खुश मिजाज दोस्त ही बनायें। बिना बात बड़बड़ाने वाले, बड़बोले दोस्त क्या काम के? वे आपको नीचे ही खींचेंगे उनसे दूरी बना ले, वे आपके योग्य नहीं है।

उम्र कोई भी हो, बस सीखते रहो। कम्प्यूटर हो या शिल्पकला हो, बागवानी हो या गाना कुछ सीखते रहे, दिल को शांत रखें पर दिमाग को कभी निष्क्रिय न होने दे। निष्क्रिय दिमाग अर्थात् खाली दिमाग शैतान का घर है और उस शैतान को आप जानते है, इसी से आपके हाथ-पैर कांपते है।

अपने जीवन में साधारण छोटी-छोटी बातों का आनन्द ले, साधारण बातों में आनन्द लेने वाले व्यक्ति ही जीवन में असाधारण होते है, सफल होते है।

हंसना है, खुलकर हंसना है। अपनी हंसी को रोके नहीं। इतना हंसे कि श्‍वास के लिये हांफना पड़े। Laughter Therapy सबसे अच्छी है। जीवन में आंसू आयेंगे, यह सामान्य प्रक्रिया है, इन्हें नहीं रोके। इसी जीवन में कई बार सहन करना पड़ता है, कई बार शोक भी आ जाता है, महत्वपूर्ण बात है आगे बढ़ना। मेरी एक बात सदैव याद रखना एक मात्र व्यक्ति जो तुम्हारे साथ पूरे जीवन रहेगा वह आप स्वयं हो। जिन्दा दिल रहो जब तक आप जिन्दा है।

वह जिससे आप प्यार करते है, वह आपके साथ होना चाहिये। चाहे वह परिवार हो, पालतू जानवर हो, संगीत हो, पौधे हो, आपका शौक हो और सबसे बड़ी बात आपका घर ही आपका आश्रय है।

देखों भाई अपने स्वास्थ्य की जरूर देखभाल करें और इसे संरक्षित करें। यदि स्वास्थ्य अस्थिर हो गया तो समय पर सुधार लें और सुधार से परें है तो किसी की सहायता प्राप्त करें। इसमें क्या हिचकिचाना।

यात्रा तो जीवन में जरूरी है लेकिन अपराध बोध की यात्रा न करें। बार-बार आप चले जाते हो अपने अपराध बोध में, अरे भाई जीवन है गलतियां हो गई, हो गई। उस अपराध बोध की यात्रा क्यों करनी?

आप दूसरों से बहुत प्यार करते है और जिनसे भी प्यार करते है उन्हें हर मौके पर बतायें कि आप प्यार करते है। बच्चें हो, बूढ़े हो, पति हो, पत्नी हो, आपका कहा हुआ I Love You सबको अच्छा लगेगा।

एक बात और है, इस जीवन को हमारी लेने वाली श्‍वासों की संख्या से नहीं नापा जा सकता। जीवन को तो उन क्षणों से ही नापा जा सकता है जब आप श्‍वास रोक लेते है, यह प्राणायाम है, प्राण शक्ति को विस्तारित करने का उपाय है।

हर दिन पूरी तरह से जीये, जीने में कुछ अधूरा नहीं रहना चाहिये।

बहुत सारी बातें है पर सबसे बड़ी बात यह है कि जो आपके विचार है, जो आपके भाव है वही आपकी सबसे बड़ी सम्पत्ति है, उसकी सुरक्षा हर समय करते रहना।

-नन्द किशोर श्रीमाली

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