Dialogue with loved ones – December 2019

अपनों से अपनी बात…

प्रिय आत्मन्,
शुभाशीर्वाद,
दिसम्बर 2019 का अंक है और मुझे इस साल भर की यात्रा का आपके साथ अवलोकन करना है। मैं तो सदैव आशा से युक्त होकर आगे का विचार करता हूं।
अभी मुझे समाचार प्राप्त हुआ कि रायपुर में निखिल मंत्र विज्ञान का कार्यालय और साधना केन्द्र बनाने हेतु छत्तीसगढ़ के कार्यकर्त्ताओं ने एकजुट होकर भूमि का क्रय कर लिया है और शीघ्र ही उस पर निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। यह प्रेम और समर्पण का श्रेष्ठत्तम भाव है, जब सारे के सारे निखिल शिष्य संकल्प लेकर एक कार्य के प्रति जुट जाते हैं। इस सार्वजनिक भवन में किसी का व्यक्तिगत उद्देश्य तो है नहीं, आप सब ने मेरे शब्दों पर ध्यान दिया और उसे पूरा करने के लिये जुट गये।
हर कार्य के पूर्ण होने में कुछ न कुछ बाधाएं तो अवश्य आती हैं। यदि सारे कार्य सरलतापूर्ण हो जाएं तो कार्य करने में आनन्द भी कैसे आयेगा? जब अज्ञात के नये-नये द्वार खुलते हैं, तब ही तो कार्य-परिश्रम में सार्थकता है। जीवन में एक बार में किसे सफलता मिली है? असफलता ही सफलता का मार्ग है, हिम्मत ही भय को मिटाने का मार्ग है। हिम्मत ही सफलता का प्रवेश द्वार है। थोड़ा भय तो रहेगा, इस भय से भयभीत नहीं होना है। भय को पार करना है।
छत्तीसगढ़ का यह निखिल संस्थान कार्यालय पूरे भारतवर्ष के लिये मिसाल बनकर कायम हो रहा है। मुझे पूरे भारतवर्ष के कोने-कोने से समाचार प्राप्त हो रहे हैं कि हम भी अपने क्षेत्र में प्रादेशिक निखिल संस्थान की स्थापना करना चाहते हैं। तुम सब यह जान लो कि किसी भी सफलता का आधार एक सोच ही होती है। एक सोच जीवन को श्रेष्ठ मार्ग पर ले जा सकती है –
अपने लिये किया तो क्या किया। दूसरे के लिये किया तो यह जीवन जीया।
मैं हर बार कहता हूं कि – मेरे शिष्यों में आपस में मतभेद हो सकते हैं क्योंकि वे जीवन्त हैं। प्रत्येक में अपनी-अपनी स्वयं की विचार शक्ति है। हर एक का कार्य करने का तरीका अलग हो सकता है। पर किसी भी शिष्य में मनभेद नहीं है, मतभेद होना स्वभाविक है और मतभेद से ही नये-नये विचार उभरते हैं लेकिन जब मनभेद हो जाए तो अच्छे विचार भी नष्ट हो जाते हैं, और मुझे गर्व है कि मेरे शिष्यों में मनभेद नहीं है।
मैं तो आपसे बहुत अधिक प्रसन्न हूं। मुझे किसी भी प्रकार का कार्य करने के लिये किसी को कहने की आवश्यकता ही नहीं रहती है। सब कार्य ईश्‍वर कृपा से, आपके सहयोग से अपने आप ही सम्पन्न हो जाते हैं और बड़े ही सचारू रूप से सम्पन्न होते हैं।
जब मैं शिविरों की व्यवस्था देखता हूं, तो मुझे बड़ा ही गर्व होता है। आप अपने-अपने स्थानों पर मुझे प्रेम से आमंत्रित करते हो, और मैं जहां चाहता हूं वहां शिविर हो जाते हैं, कार्यक्रम हो जाते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि गुरु की प्रत्यक्ष उपस्थिति के बिना भी आप नियमित रूप से अपने स्थानों पर सामूहिक कार्यक्रम करते रहते हैं। नित्य गुरु का ध्यान करते रहते हैं। एक गुरु के लिये इससे बड़े सौभाग्य की बात क्या हो सकती है? आप जैसे शिष्यों को पाकर मैं हर्षित होता हूं। कभी आपको डांट देता हूं, कभी आप पर गुस्सा भी कर देता हूं क्योंकि आपसे मुझे प्रेम हैं और जहां प्रेम होता है वहीं नाराजगी होती है। जहां प्रेम होता है, वहीं प्रसन्नता होती है।
चालीस वर्ष पहले की बात है, दादा गुरु ने मुझे एक बात कही थी।
जीवन में लोगों पर निवेश करो, वस्तुओं पर नहीं।
Invest in pepole not things.
यही जीवन का मूल मंत्र है। जब आप अपने जीवन में अपने साथ लोगों को जोड़ते हो, उन पर विश्‍वास करते हो, तो यह बहुत बड़ी पूंजी है क्योंकि यह विश्‍वास ही मित्रता का आधार है और ये मित्रता कभी भी पुरानी नहीं रहती। आज भी चालीस साल से जुड़े हुए संस्थान के सदस्यों को मैं कोई बात कहता हूं तो वे उसे पूरा करने के लिये तत्काल सहर्ष तैयार हो जाते है क्योंकि मेरे प्रति उनका विश्‍वास है, विश्‍वास दोगे तो यही विश्‍वास निरन्तर और निरन्तर दिन दुगना, रात चौगुना फलिभूत होता रहेगा।
एक विश्‍वास के सहारे ही तो मनुष्य जीवन की सारी चुनौतियों को स्वीकार करता है। एक मनुष्य को अपने घर-परिवार और समाज पर विश्‍वास होता है। उसी के बलबूते पर वह उनके लिये कार्य करने को निरन्तर तत्पर रहता है। यही भक्ति का स्वरूप है। भक्ति का सीधा अर्थ है, अपने आपको पूर्ण रूप से समर्पित कर देना और इसके लिये आधार है, श्रद्धा, प्रेम और समर्पण।
जब ये तीन तत्व होते हैं और कार्य के प्रति निष्ठा होती है, तो संसार की कोई शक्ति उस कार्य को पूर्ण करने से रोक नहीं सकती है।
तुम जगत में सफल होना चाहते हो तो सफल हो ही जाओगे। किसी में इतनी ताकत नहीं कि वह तुम्हें रोक सके। सफल वही होता है जो गतिमान रहता है। बिना चले तो कोई मंजिल मिलती नहीं है, और यदि आज मंजिल नहीं मिली तो कल भी नहीं मिलेगी, ऐसा नहीं है।
आप सब साधक गतिमान रहें, अपने मन के भावों के साथ चलते रहें। जो भी आपके मन का सत्य है, वही सत्य है। क्योंकि आपने अपनी अन्तर्दृष्टि से, अन्तर्मन के भाव से अपनी मंजिल को चुना है। गुरु ही आपकी मंजिल है। इस भाव को आपने सार्थक किया है।
जो-जो आप सोचेंगे और जिस-जिस पर आप कार्य करेंगे वह आज नहीं तो कल आपको अवश्य प्राप्त होगा, क्योंकि आपमें प्रार्थना है, आपमें भक्ति है, आपमें श्रद्धा है, आपमें विश्‍वास है।
जीवन के इन पुष्पों को खिलने दीजिये, ये पुष्प ही खिलकर आपको मधुर-मधुर फल देंगे। फल प्राप्ति की आपकी बड़ी कामना है तो आपकी अभिलाषा अवश्य पूर्ण होगी, आप उसे श्रद्धा, विश्‍वास, भक्ति, प्रार्थना की खाद दे रहे हैं। बड़े ही ध्यान से अपने जीवन वृक्ष को संभाल रहे हैं और गुरु आपके मन में स्थित है। मन से भी गहरे अन्तर्मन में, उस गुरु से नित्य प्रति जुड़े रहें।
अपनी आत्मा की, मन की प्रसन्नता के लिये, गुरु से मिलते रहिये और इस बार आपको 27-28 दिसम्बर 2019 को आत्मज्ञान अभिषेक हेतु अवश्य आना है। मैं आपके मन प्राण का अभिषेक करूंगा।
नाराज हों, प्रसन्न हों, उदास हों, गुस्से में हों, किन्तु अपने अन्तर्मन से, गुरु तत्व से निरन्तर बात अवश्य करते रहना।

नन्द किशोर श्रीमाली

 
 

Dialog with loved ones

My dear disciple, 

Divine blessings!

As I sit down to close the issue of December 2019, it is a time of reflection for me – a time to share with you all the successes we have achieved in 2019 and the way forward. our successes we have achieved in the last year and the way forward. 

I am extremely pleased to tell you that in the month of December the disciples of Chattisgarh bought the land to build Nikhil Mantra Vigyan office and Sadhana Center in Raipur. Very soon the construction will start on it. 

As I hear of this pleasant development, I am reminded of an incident. Once I had mentioned the need to expand the Nikhil office in every region. Today, with your efforts, love, dedication and financial contribution it has become a reality.  

I have always reiterated when Nikhil disciples come together bigger things are bound to happen. The foundation of Nikhil Mantra Vigyan Sadhana centre at Raipur is proof of it. 

And, I am sure this was not easy for Nikhil disciples of Raipur. In life, there is no smooth way to success. Challenges will continue to daunt us. However, as we deal with those challenges/burdens we are able to unlock new learnings for ourselves and become stronger in the bargain. 

The beauty of challenges is that they help us overcome our fears. It is quite possible we will stumble around those challenges and trip and fall. And, I want you to promise me today that you will not consider falling down  as failure. Each time you fall down you have to gather courage and proceed further towards success overcoming your initial hesitations, fears and anxieties. 

The Nikhil disciples of Chattisgarh have set a precedent for everyone in the Nikhil universe. I am receiving messages from disciples across India who want to follow the lead of the Chattisgarh and set up a regional Nikhil centre at their place. I am sure with your commitment and dedication this will materialise quickly. 

I have always believed in my life that the right thought can change anyone. Nourish your mind with the right thoughts and your life will begin to change for the better. Therefore, it is imperative to meet with Guru and attend shivir on a regular basis.

And, this change should not only touch your life but also the life of others. For a well-lived life, all of us need to think beyond our own selfish motives and work cohesively towards larger goals. 

While working on larger goals, there may be times when our thoughts collide. However, that doesn’t mean our intentions are not in sync. The differences in thoughts only highlights the fact that all of us are different and we have our own way of working. 

In a way, a diversity of thoughts is a good thing. That leads to innovation. However, the underlying current in this diversity should be to work collectively for the greater good of the organisation.

I must say today, I am extremely fortunate to have a bunch of highly committed and devoted disciples. All of you are extra special for me. You are willing to take initiative and contribute tirelessly to build the organisation. Everything in the Nikhil universe falls in place and it is because of my disciples. Thank you!

Your love for me manifests in many ways. You invite me over to your town to conduct shivirs. And, you put in immense effort in organising the sadhana camps. Moreover, you conduct Nikhil meetings regularly at your place in my divine presence,  as it gives all of you an opportunity to interact amongst yourselves. At your homes you are regular regarding sadhana and meditation. All of them are heartening developments. I am delighted to have disciples like you. 

I too have my bitter sweet expressions of love for all my disciples. At times, I take the liberty to be harsh with you. I even get angry with you. With strangers, we are nice and cold. But with people whom we love, we can express our true feelings. It is love which makes our world happy and content. 

Today, I think I must tell you what Dada Gurudev advised me forty years ago:

Invest in people in life, not on things.

This is the basic mantra of life. In the journey called life, we have to forge ties with others and start believing in them.  With our trust in the people we interact with, we win over friends. And, these friends are the biggest assets of our life. And, in my forty years with you all, I have won over many such friends, who rush to fulfill my wish. I am extremely blessed to have you all in my life.

I have learned in my life that trust is a two-way process. Before others trust us, we have to repose our faith in them. Faith has the courage and the strength to be our guiding light amidst our life’s challenges. 

We trust our family and society. They are the reservoirs of our strength and inspire us to work harder, achieve greater successes in life. This is called devotion. Devotion is not separate from dedication. 

When love, trust and devotion merge with dedication to achieve a goal, you become unstoppable. Success will be yours. Noone can take that away from you. Do remember to achieve success, you need to keep the ball rolling. Every day take small but firm steps towards your goal and before you sleep you must analyse what you have achieved.  You are carefully handling your tree of Life with the divine guidance of Guru in your mind. Continue to stay connected with Guru within the deep recesses of your subconscious mind.

Continue to meet with Guru for the happiness of your soul and mind, and you should definitely come for Aatmgyaan Abhishek (consecration of enlightenment) on 27-28 December 2019. I will nourish your heart and soul. 

Continue to connect sub-consciously with the Guru element within you even if you are irritable, happy, sad or angry.

Remain in love with life. Keep blooming!

Nand Kishore Shrimali




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