योजना पूर्ण कार्य (Well Planned Actions)

योजना पूर्ण कार्य
निश्‍चित लक्ष्य प्राप्ति

मैं अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहता हूं पर हर बार हार जाता हूं, यही प्रश्‍न आपके दिमाग में है तो अब इन पांचों सूत्रों को मानकर योजना बद्धरुप से कार्य करें – 
प्राप्ति का आधार है लक्ष्य, 
लक्ष्य का आधार है योजना, 
योजना का आधार है – अडिग विश्‍वास,
विश्‍वास का आधार है – निरन्तर कार्य

बात बहुत पुरानी है, सैकड़ों वर्ष पूर्व एक राज्य में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता एक बड़े साम्राज्य के सम्राट द्वारा आयोजित की गई थी। प्रतियोगिता में सिर्फ दो लोगों को भाग लेना था, लेकिन हजारों की संख्या में इसके लिए आवेदन आए थे। राजा के मंत्रिमंडल ने उन हजारों युवकों में से अंतिम निर्णय के लिए दो ऐसे ऊर्जावान और बलवान युवकों को चुना जो प्रतियोगिता में एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे सकते थे। प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया और यह सारा आयोजन एक 1500 मीटर ऊंची पर्वत चोटी के समीप किया गया था। प्रतियोगिता में क्या करना था? यह गुप्त रखा गया था। नियत दिन, समय पर लोग हजारों की संख्या में नागरिक इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पर्वत के समीप एकत्र हुए। प्रतियोगिता में जीतने वाले को उस साम्राज्य के योजना मंत्री का पद देना निश्‍चित किया गया था, जो कि उस साम्राज्य में बहुत ही रुतबे वाला पद था। दोनों युवक प्रतियोगिता के मैदान में आ गए। राज्य के इस सम्मानित पद को प्राप्त करने के लिए दोनों जीतना चाहते थे। सम्राट के आते ही प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया। साम्राज्य के प्रधानमंत्री ने प्रतियोगिता का विषय बताते हुए उन दोनों युवकों से कहा कि तुम दोनों में से जो भी इस विशाल पर्वत (1500 मीटर) के शिखर पर सबसे पहले पहुंचेगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा। दोनों युवकों ने पर्वत की उस चोटी तक पहुंचने को अपना लक्ष्य बनाया क्योंकि दोनों को शिखर पर पहुंचने के बाद वह सब मिलने वाला था जिसके लिए उन्होंने मेहनत की थी। दोनों युवक तेजी से चढे, लेकिन पहला युवक थोड़ी देर चढ़ने के बाद रुका जबकि दूसरा युवक तेजी से चढ़ता गया। इस तरह पहला युवक एक नियत दूरी तय करते करते पांच बार रुकते हुए चोटी के आधे भाग तक पहुंच गया जबकि दूसरा युवक तेजी से चढ़ते हुए पहले युवक से कहीं ज्यादा आगे निकल गया। सारी जनता दूसरे युवक के समर्थन में नारे लगाने लगी, क्योंकि उन्हें दूसरे युवक की विजय सुनिश्‍चित दिखाई दे रही थी। इसी तरह वह दूसरा युवक दो तिहाई चोटी तक पहुंचकर बहुत थक गया और ऊपर जाने की उसमें अब हिम्मत नहीं थी, फिर भी वह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता रहा। जबकि पहला युवक पूर्व की भांति एक नियत दूरी तय करते-करते बीच बीच में रुकता रहा और बिना थके अंत में दूसरे युवक को पीछे छोड़कर पर्वत की चोटी पर पहुंच कर विजयी हो गया। सारी जनता जो दूसरे युवक की जय जय कर रही थी अचानक ही पहले वाले युवक के विजेता बनते ही उसकी जय जयकार करने लगी।

विजेता युवक को सम्राट की तरफ से पुरस्कार और राजस्व अधिकारी का पद दिया गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद हारा हुआ युवक उस विजेता के पास आया और बोला कि ‘तुम जिस तरह से चढ़ रहे थे, उससे तो ऐसा लग रहा था कि कल शाम तक भी चोटी के शिखर तक नहीं पहुंच पाओगे, जबकि तुम मुझसे पहले जाकर इस विशाल ऊंची चोटी के शिखर तक पहुंच गए। आखिर कैसे?

तब विजेता युवक ने मुस्कुराते हुए उस युवक से एक प्रश्‍न पूछा कि ‘मित्र, तुम मुझे यह बताओ कि तुमने चोटी के शिखर पर पहुंचने के लिए क्या योजना बनाई थी?’

हारे हुए युवक ने कहा कि ‘मैंने शिखर की उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया और सीधे-सीधे चढ़ता गया।’

तब विजेता युवक बोला कि ‘मित्र तब तो तुम उसी वक्त हार गए थे, जब तुमने यह लक्ष्य सिद्धि की योजना बनाई थी।’

यह सुनकर हारे युवक ने उसकी बात का कारण पूछा, तब विजेता युवक ने कहा कि ‘तुमने सीधे उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया और बिना किसी योजना के सीधे चल पड़े। ऐसे में यह बात तय थी कि तुम आधें या दो तिहाई रास्ते को पार कर के थक जाओगे।’

मैने जिस योजना को अमल में लाया, अब उसे ध्यान से सुनो। ‘मैंने सर्वप्रथम पर्वत की उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाया तथा मन ही मन उस चोटी के बीच में पड़ने वाले दस ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जहां मुझे बीच बीच में रुकना था। इस तरह जब मैंने चढ़ना शुरू किया तो अपने मुख्य लक्ष्य को दस छोटे लक्ष्यों में बांट दिया। और हर बार एक जगह पर पहुंच कर मैंने वहां थोड़ा विश्राम किया फिर दुगुनी ऊर्जा और योजना के साथ दूसरी जगह तक की चढाई आरंभ की। इस तरह मैं हर दसों जगहों को लक्ष्य बनाता बनाता, अपने मुख्य लक्ष्य पर्वत की चोटी तक पहुंच गया वो भी बिना थके।’

हारे हुए युवक ने इस योजना पर आश्चर्यचकित होते हुए पूछा कि ‘तुम्हें इस बात से निराशा नहीं हुई कि सारी जनता तुम्हारी नहीं बल्कि मेरी हौंसला अफजाई कर रही थी।’

यह सुनकर विजेता युवक बोला- ‘मुझे इस बात से और ज्यादा प्रेरणा मिली कि चाहे कुछ हो भी मैं जनता से अपनी जय जयकार करवा के दम लूंगा और इस तरह मैं तुम्हारी जय जयकार पर ध्यान दिए बिना अपनी योजनानुसार आगे बढ़ता रहा और विजयी रहा।’

दोस्तों यह कहानी हमारे लिए भी उतनी ही उपयोगी जितनी उस हारे हुए युवक के लिए है। हम अक्सर बड़े लक्ष्य निर्धारित करते हैं, लेकिन इन लक्ष्यों को पूरा करने का तरीका पता नहीं होता है। इसके लिए हम निम्न उपाय कर सकते हैं –

1. लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांटकर –

क्या आप अपने घर की छत पर सीधे एक छलांग से जाते हो? नहीं ना। उसके लिए हमारे घर में सीढ़ीयां बनी होती हैं और हम एक एक सीढ़ी चढ़ते हुए छत तक पहुंचते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हमारे जीवन का जो भी लक्ष्य हो, उसे भी छोटे-छोटे पड़ावों में बांटें। उदाहरण के लिए जैसे मैं एक प्रतिष्ठित लेखक बनना चाहता हूं, यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है। लेकिन मैंने इस बड़े लक्ष्य को बांट कर रखा है। जैसे कि मैं पहले बहुत सी किताबें पढूंगा और यह सीखूंगा कि – कैसे लिखा जाता है? इसके बाद मैं लिखना शुरू करूंगा, फिर अपने लेख पत्रिकाओं और वेबपत्रिकाओं में प्रकाशित करवाऊंगा, प्रतिष्ठित लेखकों से अपने लेखों की समीक्षा करवाऊंगा और बहुत सारे लेख छपने के बाद मैं अपनी खुद की एक पुस्तक प्रकाशित करवाऊंगा। यह मेरे लक्ष्य के छोटे छोटे पड़ाव हैं जिन्हें मैं एकदम नहीं कम से कम पांच या आठ सालों में पूरा करना चाहता हूं। यह ध्यान रखें कि तेजी से मिली सफलता अस्थायी होती है, जबकि मेहनत से प्राप्त सफलता स्थायी होती है।

2. पूर्ण योजना के साथ – 

अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना है छोटे-छोटे लक्ष्य बनाना। लेकिन इन छोटे-छोटे लक्ष्यों की प्राप्ति करने के लिए भी हमें बहुत सी योजनाओं पर काम करना होता है। जैसे लिखना सीखने के बाद जब लिखना शुरू करते हैं तो इस बात पर भी पूरा गौर करना होता है कि ठशरवशीी को कौनसा विषय पढ़ना अधिक पंसद है। उनकी पसंद और नापसंद की पड़ताल करने के साथ साथ और भी कई पहलुओं को देखना पड़ता है। अपने एक लक्ष्य को पूरा करके हमें अगले लक्ष्य के लिए योजनाएं बनानी चाहिए और अगला लक्ष्य पूरा करते वक्त हमें अपनी पिछली योजना की कमियों को भी दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए।

3. अडिग विश्वास – 

अपनी उक्त योजना पर काम करते वक्त बहुत से लोग ऐसा समझने लग जाते हैं कि हम अपने लक्ष्य से भटक गए हैं। इसलिए वे आपकी आलोचना भी शुरू कर देते हैं लेकिन आप उस विजेता युवक की भांति योजनानुरूप आगे बढ़ते जाएं। अंत में विजय आपकी ही होगी। हां आपको आलोचना और समीक्षा में फर्क समझना होगा। समीक्षा को गंभीरता से लें मगर आलोचना को हवा में जाने दे।

4. चलते जाएं – 

जीवन में रुकने का नाम मृत्यु है। हमेशा चलने वाला ही विजय पाता है। जिस प्रकार ठहरा पानी कीचड़ बन जाता है, उसी तरह थक कर या निराश होकर बैठने वाले अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। अपने लक्ष्यों को पूरा करने के बाद अगर आप विश्राम लेते हैं तो यह विश्राम आराम का नहीं बल्कि आगे की योजना पर विचार करने का समय होना चाहिए।

Well Planned Actions

Definite Aim Achievement

 

“I wish to achieve my goals  but I lose every time”, if you have similar questions in your mind, then follow these sure-shot methods to proceed in a well planned way, to achieve your target.

 

The basis of Achievement is  –  Goal

The basis of Goal is – Plan

The basis of Plan is –  Undaunted Trust

The basis of Trust is – Continuous Work


This is a very old story, a tournament was organized hundreds of years ago in a country. This tournament was devised by a king of a very large empire. The competition was limited to only two contestants, but thousands of people had applied to participate in it. The king’s cabinet selected the two most dynamic, energetic and capable participants who could give a tough fight to each other. The competition was organized on a grand scale, and this entire tournament was conducted near a 1500 m high hill. What did the competition consist of? This was a tightly kept secret. On the appointed day, thousands of citizens gathered near the mountain to observe the competition. The prize of winning the competition was the post of the Planning Minister, which was a position of very high status in that country. Both participants entered the competition arena. Both of them wanted to win this highly coveted position. The competition started after the arrival of the king. The Prime Minister of the country announced the competition details that the first one to reach the peak of this high hill (1500m) would win the competition. Both contenders made reaching the summit as their target, because the one to reach the summit would win the prize for which they had so strenuously prepared. Both young men started to climb quickly, but one of them stopped after climbing for some time, while the other one continued to climb. In this way, the first contender reached half way after stopping five times, while the second one reached much ahead by continuing quickly. The audience started to cheer the second contender because his victory seemed certain. Continuing in this fashion, the second contender got very tired after covering two-third of the distance, and did not have any strength left to continue, so he continued with very slow speed. However, the first contender kept on taking breaks after covering some distance, and won the victory after surpassing the second person and reaching the summit. The entire audience which was cheering the second contender until now, started to now cheer the first one.

The winner obtained the prize and the High-Post from the king. After the culmination of the programme, the defeated person approached the winner and said – “The way you were reaching the summit, it seemed that you will not be able to reach the top even after two days, and yet you reached the peak before me. How did this happen?

Then the winner smilingly inquired from  the vanquished,”Dear friend, tell me what plan you had  formulated to reach the top of the summit?”

The defeated person replied that he had made a target to reach the top of the hill, and continued to climb ahead.

Then the winner stated that my friend, you had already lost the race the moment you chalked out this plan.

Hearing this, the vanquished young man asked for an explanation; then the young champion described that “You directly targeted the top of the hill, and started ahead without making any plan. It was inevitable that you will fall tired either at midway or at two-third of the distance.”

Now listen to my implemented plan carefully. “I first made that top as my target and identified ten stops on the way, where I could take small breaks. Hence when I started to climb, I divided my main target into ten small goals. And I took a little rest at each of those stops, and started afresh with double energy to reach the next goal. In this way, I achieved all of my ten midway goals, and reached the top peak without getting fatigued.”

The vanquished person got surprised that “you were not disappointed that the entire crowd was cheering me and ignoring you completely.”

The winner replied – “This increased my motivation that whatever happens, I will get the audience to cheer me in the end, and therefore I continued on my path as per the original plan, ignoring those cheers; and emerged victorious.”

Friends, this story is as important to all of us, as it was for that defeated contestant. We often set big targets, but we do not know the method to achieve those big targets. We can take following steps –

  1. Breaking the Target into multiple smaller goals.

Are you able to reach the roof of your house in one straight jump? No. We utilize the staircase for this purpose, and we climb each of those steps to reach the roof. So, it is important to divide the major target of our life into smaller stages. For example, “I wish to become a famous author”, is a major target. But I have divided this target into multiple stages. For example, first I shall read many books to learn – How to write? Then I shall start to write, get my articles published in magazines and websites, get my articles reviewed by distinguished authors; and after publishing of many articles, I shall publish a self-written book. These are various small stages of my target, which I plan to complete in at least five or eight years. Always remember that success achieved quickly is temporary, while success achieved after hard labour is always permanent.

  1. Along with a Complete Plan –

The plan to achieve the target is to divide it into multiple small goals. But we need to formulate many individual plans to achieve these multiple small goals. For example, when we start to write after learning how to write, we need to focus on whatever topic our Readers will wish to read. After analyzing their likes and dislikes, we also need to investigate many other aspects. After achievement of a goal, we should formulate plans for the next goal and we should also endeavour to remove the shortcomings of our last plan, while proceeding ahead on the next goal.

  1. Undaunted Trust –

While working on a specific plan, many people feel disconnected with their original target. So they start to criticise you, but you should continue to step ahead like that victorious contender. You will certainly win in the end. However you should understand the difference between criticism and review. Take reviews seriously, while ignoring the criticisms.

  1. Continue to Step ahead –

Stopping anywhere in the life means death. Only the one who continues to move ahead, tastes victory. Like stationary water turns stagnant, similarly, a tired or frustrated person who sits down ruins his entire life. If you take any break after completing a goal, then this break time should be utilized productively to think about the next plan, instead of wasting it in taking a rest.

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