अपनों से अपनी बात – Jan 15

अपनों से अपनी बात…
प्रिय आत्मन्,
शुभाशीर्वाद,

 

नये वर्ष के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई, अभिनन्दन, शुभकामनाएं और आशीर्वाद।
सद्गुरुदेव निखिल द्वारा स्थापित निखिल पथ पर चलते हुए हम अपने कार्यों को पूर्णता प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। यह हमारे लिये आह्लाद और हर्ष का विषय है कि हमें अपने जीवन में पल-पल नवीन आनन्द प्राप्त हो रहा है, ईश्‍वर के हम आभारी हैं कि उन्होंने हमें इतना श्रेष्ठ स्वस्थ मनुष्य जीवन प्रदान किया। हमारी आस्था और विश्‍वास निरन्तर दृढ़ से दृढ़तम होते रहें और हम अपने जीवन में कर्त्तव्य के मार्ग से कभी विचलित न हों। साक्षी भाव से इस जीवन को जीते रहें और इसका पल-पल आनन्द लेते रहें। हमारी यात्रा ‘मृर्त्योमा अमृतगमय’ अर्थात् मृत्यु से अमृत की यात्रा हो, ‘तमसो मा ज्योर्तिगमय’ अर्थात् हमारी यात्रा अंधकार से प्रकाश, ज्योति की ओर हो।

 

नववर्ष के प्रारम्भ में सबसे पहले तो मैं उन कार्यकर्त्ताओं को विशेष आशीर्वाद प्रदान करता हूं जिन्होंने इस वर्ष अपने-अपने क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन किया। इस वर्ष हमने 13-14 जनवरी, मकर संक्रान्ति साधना शिविर-नृसिंहनाथ (उड़ीसा), 04-05 फरवरी, बसंत महोत्सव साधना शिविर-चन्द्रपुरा (झारखण्ड), 09 फरवरी, महाकाली शक्ति साधना शिविर-जयपुर (राजस्थान), 26-27 फरवरी, महाशिवरात्रि साधना शिविर-वाराणसी (उ.प्र.), 15-16 माचर्र्,  होली महोत्सव साधना शिविर-नागपुर (महाराष्ट्र), 07-08 अप्रैल, चैत्र नवरात्रि साधना शिविर-बुटवल (नेपाल), 20-21 अप्रैल, निखिल जन्मोत्सव साधना शिविर-सक्ती (छ.ग.), 10-11 मई, दस महाविद्या साधना शिविर-घुमारवीं (हिमाचल), 24-25 मई, विजय-लक्ष्मी शक्ति साधना शिविर-बैतुल (म.प्र.), 21-22 जून, श्रीविद्या सिद्धि साधना शिविर-हाजीपुर (बिहार), 11-12 जुलाई, गुरु पूर्णिमा महोत्सव-हरिद्वार (उत्तराखण्ड), 13-14 सितम्बर, भुवनेश्‍वरी साधना शिविर-जलगांव (महाराष्ट्र), 2-3 अक्टूबर, दुर्गा सायुज्य दस महाविद्या साधना शिविर-लखनऊ (उ़.प्र.), 5-6 नवम्बर, निखिल संन्यास महोत्सव साधना शिविर-बिलासपुर (छ.ग.), 6-7 दिसम्बर, महाकाली साधना शिविर-टाटा नगर (झारखण्ड), 27-28 दिसम्बर, जीवन विजय सिद्धि अश्‍वमेघ विराट् दीक्षा समारोह-दिल्ली में आयोजन किया। कई शिविरों में दो-चार हजार साधक थे तो कई शिविरों में पच्चीसों हजार साधक थे। यह सब आपके ही प्रयासों का फल है। आपने-अपने स्थान पर जो चेतना उत्पन्न की है वह सराहनीय है। इसके लिये मैं आपको हृदय से साधुवाद देता हूं। मैं आपको अपना तपस्यांश प्रदान करता हूं। इस क्रिया के माध्यम से आपने जो जिम्मेदारी ली है ,वह सेवा का एक महान् कार्य है। इन कार्यों हेतु आपके जीवन में नित्य प्रति आनन्द, सुख प्राप्त हों, आपकी यश, कीर्ति निरन्तर बढ़ती रहे ऐसा ही मेरा शुभ आशीर्वाद है।

 

हमें अभी कई और स्थानों पर भी शिविरों का आयोजन करना है। मैं भी आपके पास आना चाहता हूं, मैंने अगस्त 2010 में जो वचन दिया था उस वचन के अनुसार मैं आपसे आपके शहर-घर में मिलना चाहता हूं। इस वर्ष कई नये स्थानों पर शिविर आयोजन अवश्य करेंगे, यह तो निश्‍चित है कि इसके लिये आपको अपने क्षेत्र में संगठन बनाना पड़ेगा। जब आपके स्थान पर हजारों घरों में ‘निखिल मंत्र विज्ञान पत्रिका’ पहुंचने लगे तब आप यह मानना कि आपका संगठन बन रहा है। इसके लिये कार्यकर्त्ता बनकर आपको लोगों से मिलना पड़ेगा। ‘निखिल मंत्र विज्ञान पत्रिका’ का प्रचार-प्रसार करना पड़ेगा। हर महीने सामुहिक गुरु पूजन, सामुहिक साधना कार्यक्रम करना ही पड़ेगा। आप अपने क्षेत्र में निखिल मंत्र विज्ञान पत्रिका लोगों को पढ़ने के लिए दीजिये, उसे घर-घर पहुंचाइये, मंत्र और साधना की चर्चा कीजिये। आपका यह प्रयास अवश्य ही रंग लायेगा।
आज मैं आपसे स्पष्ट रूप से पूछता हूं कि क्या आप इस वर्ष एक सौ एक (101) नये निखिल मंत्र विज्ञान सदस्य बनाने का संकल्प ले रहे हो? आपको ही संकल्प लेना है और आपको ही कार्य करना है। मेरा और आपका कार्य अलग-अलग नहीं है।

 

मैं जानता हूं कि कार्यकर्त्ता बनना बहुत मुश्किल है लेकिन जो कार्य करता है वही कार्यकर्त्ता बन सकता है, वही समाज को श्रेष्ठ नेतृृत्व प्रदान कर सकता है। इतने अधिक झंझावातों, बाधाओं आलोचनाओं के बीच आपने निखिल ज्ञान का दीपक प्रज्वलित कर रखा है और निखिल मंत्र विज्ञान की पताका अपने क्षेत्र में फहरा रहे हैं, आप धार्मिक क्रांति के ध्वजवाहक हैं। इस धार्मिक क्रांति से ही सामाजिक क्रांति संभव है। अपने प्रयासों में किसी भी प्रकार की शिथिलता न आने दें। शक्ति प्रदान करने वाले, शक्ति के अजस्र भण्डार, सद्गुरुदेव निखिल हैं, जिनका पल-पल आशीर्वाद आपको अवश्य ही प्राप्त होगा।

 

मैं आपके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहता हूं, आपके मन में उत्साह और आशा का संचार करना चाहता हूं। इस हेतु आप मेरे विचारों को ध्यान से समझें और अपना लें –
आप ही इस ब्रह्माण्ड के केन्द्र, शक्ति के स्रोत हैं, आपके भीतर ही ऊर्जा का प्रवाह है। जब आप इस ऊर्जा को सकारात्मक रूप से व्यवस्थित कर देंगे तो इस ऊर्जा से आपके व्यक्तित्व का नवीन निर्माण हो जायेगा। ईश्‍वर ने अपने स्वयं के जैसा आपको बनाया है और उसी प्रतिरूप में आपको बनना है, अपने आपको बनाना है। सबसे पहले यह याद रखिये कि ईश्‍वर कभी असफल नहीं हुआ है और आप ईश्‍वर की संतान हैं इसलिये आप भी कभी असफल नहीं हो सकते हैं अपनी सफलता को सुनिश्‍चित करने के लिए बस कुछ बातें अपने जीवन में अपना लीजिये

 

1. आपने अपने जीवन में जो भी लक्ष्य सोचा है उसे एक कागज पर लिखकर अपने सामने दीवार पर चिपका दें अथवा एक कॉपी में लिख दें और उसे रोज पढ़ते रहें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपका लक्ष्य आपका सपना है या आपकी सोच है। उसे हमेशा अपने सामने रखें। इतना जरूर ध्यान रखें कि लक्ष्य अर्थपूर्ण हो, साथ ही लक्ष्य ऐसा हो जिसे आप पूर्ण कर सकते हों। इससे आपका मन कभी भी अपने रास्ते से भटकेगा नहीं

 

2. स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन बसता है इसलिये अपने स्वास्थ्य की ओर पूरा ध्यान दें। इसके लिये आपको बहुत अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है और न ही बहुत अधिक दिनों तक उपवास रखने की आवश्यकता है, न किसी बीमारी की आशंका रखनी है। आप अपनी दिनचर्या लिख रहे हैं तो उसमें लिखिए कि क्या खाया, क्या पीया, क्या बाजार में खाया, कितनी बार चाय पी, कितनी बार शारीरिक व्यायाम किया, योग किया। रोज ऐसा विचार करने से आप अशुद्ध खान-पान से बचेंगे और शरीर के प्रति सजग रहेंगे।

 

3. आपके पास दो तरह के लक्ष्य होते हैं – एक तो हर दिन का छोटा-मोटा काम जैसे आपकी नौकरी, आजीविका, जिसे आप उसी दिन पूर्ण करते हैं। दूसरा आपका बड़ा लक्ष्य जिसे पूर्ण करने का प्रयास आपको लगातार करना है। इसलिए आपकी कोशिश यही होनी चाहिए कि आपका हर काम आपके जीवन के मुख्य लक्ष्य की ओर ही ले जाए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आपको अपनी कार्य योजना पर विचार करने की आवश्यकता है। इस पर अवश्य विचार करें कि आपने अपने बड़े लक्ष्य को पाने के लिये कितना प्रयास किया है।

 

4. आप अपने भूतकाल को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन आप अपने भविष्य का निर्माण अवश्य कर सकते हैं, इसीलिये आपको अपनी पिछली असफलताओं, विफलताओं पर पछताने से कोई लाभ नहीं होगा। हां! आप उनसे सीख अवश्य ले सकते हैं। इस बात को सोचकर कभी दुःखी नहीं हों कि आज आप जिस स्थिति में है, उस स्थिति में अभी आपको नहीं होना चाहिए। भूतकाल में घटी दुर्घटना अथवा दुर्भाग्य के लिये आपके चिन्तन में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जो बीत गया सो बीत गया। उस पर अब रोना नहीं है। अपने जीवन में नित नयी बातों, नये अनुभवों और खुशियों के लिये ही लगे रहें।

 

5. हर व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार की भूलें करता है और उन्हें याद कर अपना काफी समय पछतावे में ही गंवा देता है। पुरानी बातों में यह याद रखना है कि आपने अपने संघर्ष के दिनों में भी कैसे विजय प्राप्त की थी। आपने कितनी हिम्मत दिखाई थी और आखिर आपने समस्या से पार पा ही लिया था

 

नया साल प्रारम्भ हो रहा है, वैसे तो कालचक्र का कोई भी क्षण अलग नहीं है, लेेकिन नववर्ष पर्व को उत्सवमय बनाकर हम संकल्प अवश्य ले सकते हैं, यह तो आप भी जानते हैं कि आपको अपने अधूरे कार्यों को पूरा करना है, अपनी गलतियों को दोहराना नहीं है और अपनी  कमियों को दूर करना है। वृद्धि के लिये और अधिक प्रयास करना है। कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें आपको बिल्कुल ही नहीं करना है, इनमें से कुछ बातों को आप जानते भी हैं और कुछ बातें आपकी आदत में भी शुमार हैं लेकिन आज यह निश्‍चय करना है कि मुझे अपने जीवन में अब निम्न बातों को नहीं करना है –

 

1. किसी दूसरे की निन्दा में रस लेना – यह तो आप बचपन से सुनते आ रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति के सामने किसी तीसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए लेकिन उससे भी आवश्यक बात यह है कि यदि कोई बुराई कर रहा है तो आप उस पर बिल्कुल ध्यान न दें, न ही उसमें किसी प्रकार का आनन्द प्राप्त करें क्योंकि यदि आप किसी की निंदा में थोड़ी भी रुचि दिखाते हैं तो आप उसकी नकारात्मक ऊर्जा को अपने भीतर आने दे रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति आपके सामने किसी की बुराई कर रहा है तो ऐसे समय में आप बिना जवाब दिये अनसुना कर दें। जो व्यक्ति आपके सामने दूसरों की निंदा कर रहा है तो वह दूसरों के सामने आपकी निंदा भी कर सकता है।

 

2. अपने आन्तरिक व्यक्तित्व की किसी दूसरे के बाह्य व्यक्तित्व से तुलना करना – इतना ध्यान रखें कि किसी भी व्यक्ति की असलियत सिर्फ उसे स्वयं ही पता होती है, आप प्रत्येक मनुष्य का  बाहरी, नकली व्यक्तित्व की देखते हो और आप उससे स्वयं की तुलना करने लग जाते हो। आपको लगता है कि दूसरा आपसे ज्यादा खुश है, सोचिए ऐसी तुलना करने से कोई फल नहीं मिल सकता। आपको सबसे पहले अपने आपको स्वयं के समक्ष साबित करना है। किसी दूसरे के सामने साबित नहीं करना है।

 

3. किसी भी काम के लिये दूसरों पर निर्भर रहना – ज्यादातर आवश्यक काम इसलिये पूरे नहीं हो पाते हैं कि आप अपने काम के लिये किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर हो जाते हैं। आपको अपना कार्य समय सीमा के भीतर पूर्ण करना ही है। छोटे-छोटे कामों के लिये दूसरों के भरोसे न रहें, आप स्वयं अपना काम करें। ऐसा करने से आपका आत्मविश्‍वास बढ़ जायेगा। जो अपने छोटे-मोटे काम स्वयं करते हैं वे ही अपने जीवन में बड़े-बड़े काम भी सम्पन्न कर सकते हैं। आपके कार्य आपके द्वारा ही पूर्ण हो सकते हैं।

 

4. जो बीत गया है उस पर बार-बार अफसोस करना – यदि आपके साथ भूतकाल में कुछ ऐसा हो गया है जो आपको दुःखी करता है तो उस बारे में एक बार अफसोस कर दीजिये, दो बार अफसोस कर दीजिये पर केवल अफसोस ही नहीं करते रहें। भूतकाल की घटना से सबक लें और आगे का विचार करें। यदि आप भूतकाल में ही फंसे रहे तो आप न तो वर्तमान को अच्छी तरह से जी पायेंगे और न ही भविष्य के लिये अपने आपको तैयार कर पायेंगे

 

5. जो आप नहीं चाहते हों उस पर अपने आपको केन्द्रित करना – प्रकृति का तो सीधा और सरल सिद्धान्त है कि जिस चीज पर हम अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं उसमें आश्‍चर्यजनक रूप से वृद्धि होने लगती है। जो आप नहीं चाहते हैं उन बातों की ओर आप अपना ध्यान क्यों लगा रहे हैं? जो आप चाहते हैं, उसी की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करिये। यदि आप अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो केवल महंगाई और खर्च की बात नहीं करें, अपितु अपनी आय बढ़ाने के लिये नये उपाय, नयी संभावनाओं पर विचार करें

 

मेरा विचार है कि जीवन बहुत छोटी-छोटी खुशियों का प्रवाह है। जो भी छोटी-मोटी खुशी मिले उसे बटोरते रहिये, ये छोटी-छोटी खुशियां आपके जीवन में पूर्ण आनन्द ले आएगी। इन छोटी-मोटी खुशियों से ही आप प्रफुल्लित, प्रसन्न और उत्साह से भरे रह सकते हैं।

 

विचार ही सबसे महान् शक्ति है। आपके भीतर जो विचार उत्पन्न हो रहा है उस विचार को बार-बार दोहराएं उसे पूजा, प्रार्थना के समय ईश्‍वर से कह दें। विचार को अपना मंत्र बना लें, विचार से ही आपको पूर्ण बल प्राप्त हो सकता है।

 

ईश्‍वर तो निरन्तर प्रेरणा देने का कार्य कर रहा है, वह सदैव और सदैव सुकृत कार्यों की ओर ही प्रेरित करता है। उस ईश्‍वर के चरणों में जब हम अपने आपको समर्पित कर देते हैं तो जीवन से दुश्‍चिन्ता और संशय की स्थिति समाप्त हो जाती है

 

सबसे पहले आप आज ही ‘शिष्य परिचय पत्र’ (पृष्ठ सं. 65) भरकर भेज दें। मुझे आपके बारे में पूरी जानकारी चाहिए। इसे आपको भरकर भेजना ही है।
आप मुझे पत्र लिखें, मिलें, अपनी बात कहें, अपने विचार कहें, अपने संकल्पों के बारे में बतायें, अपने लक्ष्यों के बारे में बतायें, अपनी योजनाओं के बारे में बतायें और अपनी बाधाओं के निराकरण के लिये आप क्या प्रयास कर रहे हैं उसके बारे में भी अवश्य बतायें

 

आपकी अपनी इस पत्रिका के सम्बन्ध में सारी जानकारी www.nikhilmantravigyan.org पर उपलब्ध है। उसे स्वयं जानें और मुझे नियमित रूप से nmv.guruji@gmail.com पर पत्र लिखें। अपना संदेश भेजें। कार्यालय सम्बन्धी कोई बात है तो उसे भी लिख भेजें। आपके स्थान पर, यदि किसी प्रकार की कोई गलतफहमी है तो उसके बारे में भी मुझे खुलकर लिखें। गुरु के नाम पर कोई आपके वहां चालाकी अथवा दुरुपयोग कर रहा है तो उसकी बात भी मुझे लिखें। अपने संगठन के बारे में मुझे अवश्य बताते रहें।

 

अपने आपको पूरी तरह गुरु के सामने खोल दें, गुरु हैं आपका संगी-साथी, गुरु हैं आपका मित्र। अपने विचारों में निरन्तर नवीनता लायें, अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं चिन्तन करें। बस उत्साह से गुरु के साथ-साथ आगे बढ़ते रहें

 

सस्नेह आपका अपना
नन्दकिशोर श्रीमाली

Speak with Loved ones ….

Dear Loved ones,

Divine Blessings

Heartiest Greetings, Sincere Compliments, Earnest Wishes and Divine Blessings on the  auspicious  occasion of the New Year,

We are endeavoring to complete our tasks on the Nikhil Path as ordained by SadGurudev Nikhil. It gives us wonderful delight  and happiness that  we are attaining new joys at each moment of our life,  we are  grateful  to God that He provided us this remarkable healthy  human existence.  Our faith and belief should continuously deepen and we should never waver from the  responsibilities of our life. We should lead our life as an external observer and attain joy at each and every moment of our life. Our life path should be “Mrityorma Amritgamaye” i.e. from Death to Immorality; and “Tamso Ma Jyotirgamaye” i.e. from Darkness to Bright Light.

At the onset of new year, I bestow distinctive blessings to those volunteers who organized Sadhana Camps in their regions. This year we organized 13-14 January, Makar Sankranti Sadhana Camp – Narsinghnath (Odisha), 04-05 February, Basant Mahotsav Sadhana Camp – Chandrapura (Jharkhand), 09 February, Maha Kali  Shakti Sadhana Camp – Jaipur (Rajasthan), 26-27 February, Maha Shivratri Sadhana Camp – Varanasi (Uttar Pradesh), 15-16 March, Holi Mahotsav Sadhana Camp – Nagpur (Maharashtra),  07-08 April, Chaitra Navratri Sadhana Camp – Butwal (Nepal), 20-21 April, Nikhil Janmotsav Sadhana Camp – Sakti (Chhattisgarh), 10-11 May, Das Mahavidhya Sadhana Camp – Ghoomarvi (Himachal Pradesh), 24-25 May, Vijay-Lakshmi Shakti Sadhana Camp – Beitul (Madhya Pradesh), 21-22 June, Shree Vidhya Siddhi Sadhana Camp – Hajipur (Bihar), 11-12 July, Guru Poornima Mahotsav – Haridwar (Uttarakhand), 13-14 September, Bhuvaneshwari Sadhana Camp – Jalgaon (Maharashtra), 2-3 October, Durga Sayijya Das Mahavidhya Sadhana Camp – Lucknow (Uttar Pradesh), 5-6 November, Nikhil Sanyaas Mahotsav Sadhana Camp – Bilaspur (Chhattisgarh), 6-7 December, Maha Kali Sadhana Camp – Tatanagar (Jharkhand), 27-28 December, Jeewan Vijay Siddhi Ashwamedh Viraat Diksha Camp – Delhi.  Some camps had two to four thousand sadhaks while more than twenty five thousand sadhaks attended some camps. This all is result of your efforts. The divine energy lighted by you in your own areas is highly commendable. I compliment you from deep recesses within my heart. I impart a portion of my penance to you. The responsibilities taken by you as part of this grand process, is a pronounced part  of Divine service. I bless you that you continuously attain marvelous joy and bliss; and that your fame and prestige unceasingly grows through these divine actions.

We need to organize camps at numerous other places. I also desire  to come to you, I promised you in August 2010, and as part of that promise, I wish to meet you in your city and your home. We will organize camps at various new places in the new year. It is definite that you will have to group together in your own areas. When thousands of homes in your area start receiving “Nikhil Mantra Vigyan magazine” , then only you should realize that a new group is getting formed in your area. You will have to become a volunteer and meet people. You will have to propagate and publicize about Nikhil Mantra Vigyan magazine. You will definitely have to organize collective Guru Poojan and joint Sadhana programs. You should distribute Nikhil Mantra Vigyan magazine to people to read, circulate it to their homes and discuss about Sadhanas. These efforts will surely bring golden results.

I ask you clearly that are you taking a pledge to make One Hundred and One  (101) new Nikhil Mantra Vigyan members in the new year. You have to take this oath and you only have to accomplish this duty. There is no difference between mine and your tasks.

I recognize that it is very challenging to become a volunteer, but only the one who works, can become the significant worker in this divine mission; and only that person can provide splendid leadership to this society. You have incessantly kept the flame of Nikhil Gyan brightly lit inspite of so many difficulties, problems and obstacles; and you are propagating the Nikhil Mantra Vigyan flag in your areas; you are the flag-bearer of this divine revolution. The social revolution will emanate from this divine revolution. Do not let anything  deter you from your persistent efforts. The eternal store of divine energy, SadGurudev Nikhil, continually imparts you divine energy; and you will constantly obtain His Divine blessings at every moment.

I wish to see a ray of smile on your face, and wish to transmit passion and optimism to your mind. So carefully comprehend  my thoughts and imbibe them –

You are the center and source of energy of the universe, the entire divine energy flows within you. When you transform this divine energy positively, then you will be able to develop a new personality from this energy source.. God has created you in His own image and you have to become alike Him, you have to make yourself identical to Him. Always remember that God has never failed and you are His own child; and therefore can never encounter failure. You should imbibe some points in your life to ensure your complete success.

  1. Whatever goal you have set for yourself in your life, you should write it on a paper and paste it on a wall prominently; or write it in a notebook and read it daily. It does not matter if your ambition  is your dream or your belief. Always keep it visible in front of you. You should, however note that your aim should be meaningful, and it should be the one which you can accomplish. This will ensure that your mind will never waver away from concentration.
  2. A sound mind exists only in  a sound body, so you should take proper care of your health. You do not need to  worry excessively about this, you do not need to fast for many days, or worry  about any illness. If you write a diary regularly, then simply make a note about what you ate,  drank, non-home-cooked food taken, how much tea you took, how much you exercised, or performed yoga etc. Maintaining a daily note like this will prevent you from eating impure, unhygienic or non-nutritious food and force you to  take responsibility about your own body.
  3. You have two distinct types of goals – one is the daily chores like your job, tasks etc. which you complete on the same day. Second is your major ambition, which you have to constantly strive to achieve. Therefore, you should always attempt to ensure that your every task takes you forward towards achieving the main aim. If this is not happening, then you need to rethink and change your plan. Do contemplate about how much you have endeavored to accomplish the major goal.
  4. You cannot change your past, but you can certainly build your own future; so worrying and fretting over past failures and disappointments will not give you any major gain. However, you can definitely learn from these past failures. Do not become miserable with feelings that the situation which you are in, you should not have been in that situation. Your thoughts should not have any space for past incidents or misfortunes. Whatever has happened in the past, has happened. Do not cry over it. Always keep yourself involved in new tasks, new experiences and new happiness.
  5. Every person commits many mistakes in his life, and wastes a lot of time in repenting over those past memories. While reminiscing the old memories, you only need to recollect how you achieved success in those days of struggle. How you emerged stronger and finally achieved success over those problems.

New year is approaching.  No moment is distinct in time,  but we can mark the beginning of the new year as a special one, and take a personal pledge. You also realize that you have to complete your unfinished tasks, to refrain from repeating the past mistakes, and to eradicate your deficiencies. You have to strive more to develop. You should not undertake or indulge in some activities. You already know some of these, and some of these have become a part of your habit. You have to resolve today that you will never perform following actions –

  1. Enjoying blaming others – You have been hearing from childhood that you should not slander any third person while talking to someone; however more significant is that you should not pay any attention if someone is badmouthing anyone. You should not entertain any thoughts to blame others, because you imbibe negative energy within yourself even when you indicate any small pleasure in blaming others.  If someone is spiting others in your presence, then you should completely ignore without making any remark. The person spiting others in your presence, can slander you too in your absence.
  2. Comparing your inner personality with other’s external disposition – You should remember that only a person knows the true self of himself. You view the outer, fake  disposition of someone and start comparing yourself with him or her. You feel that the other person is more happier than yourself,  reflect  that such comparison will not yield any result. You first have to prove yourself to yourself only. You do not need to prove yourself to others.
  3. Depend on others for accomplishing any task – Many important tasks remain incomplete because you become dependent on other persons to complete them. You have to complete your tasks within a specific time limit. Do not remain dependent on others for small nit-picky tasks, instead do your work yourself. This will also enhance your self-confidence. Those who themselves perform their minor chores, only they can accomplish major achievements in their life. Only you can finish your own work.
  4. Agonize  about what has passed – If some incident has happened to you in the past which dismays you, then agonize over it once, agonize twice; but do not keep brooding over it. Take lesson from the events of past, and think ahead. If you confine yourself only to the past miseries, then neither you will be able to live the present properly, nor will you  be able to prepare yourself for the future.
  5. Concentrate on what you don’t require – The nature has a simple  straight outlook that whatever we concentrate completely on, that starts growing and developing astonishingly. Why are you putting your mind on stuff which you do not require?  Focus your  attention towards what you need. If you wish to increase your income then do not worry about inflation and expenses, rather muse about new possibilities and opportunities to augment your income.

I believe that life is a flow of small, trivial streams of pleasures. Keep collecting the little petty  delights, these tiny-winy enjoyments will bring complete joy to your life. You can remain pleased, enthusiast and gratified with these tiny trifles.

The greatest power is the power of thought. Keep repeating the thoughts occurring within you, disclose them to God during prayers and supplications. Make these thoughts your Mantras,  you can achieve total energy only though the thoughts.

God is continuously guiding you, He always leads you towards creative positive constructions. When we kneel before Him and offers ourselves to Him,  then all confusion, doubts and worries are eliminated.

The first task for you today is to fill in the “Shishya Parichay Patra”  (Page Number 65), and send it to me. I want to get full details about you. You certainly have to fill it and send it.

You should write letters to me, voice your opinions, tell your thoughts, tell about your desires, your ambitions, your plans, and what you are doing to remove the obstacles and problems in your path.

All the information about your magazine is available at www.nikhilmantravigyan.org website. Read it yourself and email me at nmv.guruji@gmail.com regularly. Send your message. Write if there is any issue about the magazine office. Give me details if there is any misunderstanding or confusion at your place. If someone is misusing Guru’s name or befooling anyone, then tell me about it. Keep updating me about your local organization.

Open yourself fully towards your Guru; Guru is your companion, Guru is your best friend, philosopher and guide. Keep bringing freshness and novelty into your thoughts, keep contemplating using your mind. Just move forward with full passion along with Guru.

Always Stay Happy

Cordially yours

Nand Kishore Shrimali

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